ईचागढ़ : सरायकेला-खरसावां जिला के ईचागढ़ प्रखंड क्षेत्र में हाथियों का उत्पात लगातार जारी है. बंगाल की ओर से 40 हाथियों का झुंड ईचागढ़ पहुंचा. इस बीच सालुकडीह, डुमरा और सितु में दो दिनों तक जमकर उत्पात मचाया. हाथियों को भगाने के क्रम में शुक्रवार को सितु गांव के विकास कुमार दास, अर्जुन दास, सदानंद दास सहित कई किसानों के खेतों में लगे पके धानों को रौंद कर धान को ही नष्ट कर दिया.
दहशत का है माहौल
विकास कुमार दास ने कहा कि देर रात को 40 की संख्या में हाथियों का झुंड खेतों को रौंदकर नष्ट कर दिया. रोपनी के समय पटवन कर धान की खेती की गई थी. हाथियों ने पूरे खेत को ही रौंद डाला. वन विभाग से हाथियों को क्षेत्र से भगाने और सम्पूर्ण मुआवजा देने की मांग की है. बताया जा रहा है कि फिर से हाथियों का झुंड सालुकडीह के रास्ते कुटाम जंगल की ओर भाग गया. 40 की संख्या में हाथियों का झुंड क्षेत्र में जमे रहने से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है.
पालतू हाथी की तरह प्रवेश करता है गांव में
आए दिन हाथियों द्वारा जान-माल की क्षति पहुंचाई जा रही है. पिलीद, कुटाम, रघुनाथपुर आदि जंगलों में लगातार दो-तीन हाथी डेरा जमाए हुए हैं. शाम ढलते ही लोग रोजमर्रा के कामों में हाट बाजार व खेत खलिहानों में आने-जाने में भी डरते हैं. रात के अलावा दिन के उजाले में भी पालतू हाथी की तरह गांवों में आ धमकते हैं और 40 की संख्या में हाथियों का झुंड डेरा डालने से गांवों में बीमारी होने से भी लोग रात को अस्पतालों में जाने से भी डरते हैं. लोग इलाज के लिए सुबह का इंतजार करते हैं.
हाथियों के कारण बाजार से रौनक गायब
शाम ढलने से पहले ही हाथियों के डर से बाजारों का रौनक भी कम होने लगी है. रात को एक-दूसरे गांव से आवागमन कट सा जाता है. हाथियों का समाधान वन विभाग के पास भी नहीं है. भागने भगाने का सिलसिला तो जारी है. इससे हाथी और उदंड होते जा रहे हैं. आक्रोशित हाथियों का रूख घरों कि ओर हो जाता है और घरों को तोड़कर अपने गुस्से को शांत करते हैं.