जमशेदपुर : आदिवासी कुड़मी समाज की ओर से बिरसानगर में क्रांतिवारी शहीद रघुनाथ महतो की 283वीं जयंती मनायी गई। बिरसानगर-टेल्को नगर कमेटी की ओर से आयोजित जयंती समारोह में अतिथि के रूप में आदिवासी कुड़मी समाज के सरायकेला-खरसावां और पूर्वी सिंहभूम के संयोजक मंडली के सदस्य प्रकाश महतो मौजूद थे। जयंती समारोह में शदीर रघुनाथ महतो को श्रद्धा-सुमन अर्पित किया गया और समाज के लोगों ने उनके बताए मार्ग पर चलने का प्रण लिया। प्रकाश महतो ने कहा कि अंग्रेजों ने सन 1765 में बंगाल, बिहार, उड़ीसा की दीवाने हासिल करते ही मनमानी ढंग से कृषि राजस्व (कर) बढ़ाने जबरन कर वसूलने, मालगुजारी समय पर नहीं चुकाने पर राजा, जमींदार एवं रैयतों की जमीन से बेदखल करने एवं जमीन नीलाम कर उंची डाक बोलने वालों को भुबंदोबस्त करने, अंग्रेज पदाधिकारियों की राह चलते सलाम नहीं करने या बैठे रहने पर कोड़ा से मारने जैसे जुल्म करते थे। ऐसे जुल्मो को देखकर वीर शहीद रघुनाथ महतो से सहा नहीं गया। 1768 में ही अंग्रेज के साथ हाथापाई हो गई थी। इसी जोर जुल्म के टक्कर में 1769 में नीमडीह मैदान में एक विशाल जनसभा बुलाई गई और अंग्रेजों को ललकारते हुए कहा “अपना गांव अपना राज, दूर भगाओ ब्रिटिश राज” एवं विरोध के आंदोलन का शंखनाद किया गया था। पातकुम, मानभूम, बराभुम, सिंहभूम, धालभूम, मेदनापुर, गम्हरिया, पंचेत, खड़कपुर, बांकुड़ा, पांच परगना, तमाड़, सिल्ली से रामगढ़ तक शोषण मुक्त कराने का मशाल प्रज्जवलित किया।
लड़ाकू दस्ते में ये थे शामिल
लड़ाकू दस्ते में शंकर माझी, डोमन भूमिज, झगडु महतो, पुकलु माझी, हलकु माझी आदि सैनिक थे। इन लोगों ने तीर- धनुष, टांगी, फरसा, धुंचा, बरछा ,भाला आदि परंपरागत हथियारों से लड़ाई लड़ी थी।
5 अप्रैल 1778 को हुए थे शहीद
रघुनाथ महतो सभा को संबोधित करते समय 5 अप्रैल 1778 को शहीद हो गए थे। इस जयंती समारोह की अध्यक्षता नगर अध्यक्ष धीरेंद्रनाथ महतो टिडुआर ने की। संचालन नगर कोषाध्यक्ष मंटु महतो केटिआर और धन्यवाद ज्ञापन नगर प्रवक्ता मनोहर महतो जालबानुआर ने किया।
ये थे मौजूद
मौके पर रामविलास महतो, बुद्धेश्वर महतो, शैलेंद्र महतो, उदित महतो, मृत्युंजय महतो, दिवाकर महतो, महादेव महतो, मारिल महतो, सुरेंद्रनाथ महतो, अनीता महतो, बनोश्री महतो, सानबि महतो, गौतम महतो आदि उपस्थित थे।