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सरायकेला-खरसावां : ईचागढ़ के कांकीटांड़ में ग्रामीणों ने बनाई दो किलोमीटर तक मुरूम पथ, जेसीबी मंगाकर खुद किया श्रमदान, जनप्रतिनिधियों ने नहीं ली सुधि
सरायकेला-खरसावां : जिला के ईचागढ़ प्रखंड का कांकीटांड़ एक ऐसा गांव जहां आजादी के सात दसक के बाद भी गांव मे रास्ता नही बना । झारखंड अलग राज्य बनने के दो दसक बाद भी पंचायत के मुखिया से लेकर विधायक भी कभी बीन रास्ता के गुजर बसर करने वाले गांव पर ध्यान नही दिया । अब लोगों का जन प्रतिनिधियों से भी विश्वास उठ चुका है । ग्रामीण अब अपना गांव का विकास खुद करने की ठान ली और कर दिया करीब दो किलोमीटर रास्ते का निर्माण । जी हां कांकीटाँङ के ग्रामीण सरकार की बर्षों से वाट जोहते थक गए।कितनी सरकार आई और चली गई ,मगर कांकीटाँङ गांव के लोग पगडण्डी रास्ते पर ही चलने को मजबूर है । आखिर ग्रामीणों ने आपस मे चंदा कर जेसीबी मशीन लगाकर और श्रमदान कर मीट्टी मुरम पथ का निर्माण कर दिया । गांव के महिला पुरूषों ने एकता का परिचय देते हुए एक सप्ताह से रास्ता बनाने मे जुट गये । यही नही ग्रामीणों ने अपना जमीन भी रास्ता के लिए छोङ दिया । ग्रामीण बताते हैं की गांव मे चुनाव के समय नेता आते हैं और वादा कर चले जाते हैं । विधायक ,सांसद और पंचायत प्रतिनिधि चुने जाने के बाद वादे भुल जाते हैं । जिससे हम अपना तकदीर लिखने का बीङा खुद उठाया । बताया गया की गांव से मुख्य सङक जाने के लिए खेतों का मेङ़ ही एकमात्र सहारा है । अब देखना है की कच्ची सङक बनने के बाद सरकारी बाबू और जन प्रतिनिधि कांकीटाँङ का विकास मे क्या भुमिका निभाते हैं ।