चाईबासा : उरांव सरना समिति की ओर से आदिवासियों के प्रकृति प्रेम के प्रतीक सरहूल पर्व चक्रधरपुर प्रखंड के बनमालीपुर गांव स्थित पेल्लो टुंगरी सरना स्थल में मनाया गया। इस अवसर पर समाज के पाहान मागरा कोया, सोमरा टोप्पो व गणेश मिंज द्वारा सरना स्थल में झंडा गाड़ी किया गया। इसके बाद साल व सखुआ वृक्ष की पूजा कर क्षेत्र की सुख-शांति व समृद्धि के लिए संयुक्त रूप से समाज के लोगों द्वारा प्रार्थना की गई। उरांव सरना समिति के अध्यक्ष रंजीत तिर्की ने कहा कि यह आदिवासी समुदाय का सबसे बड़ा पर्व है। चूंकि यह पर्व रबी की फसल कटने के साथ ही आरंभ होता है। इसलिए इसे नए वर्ष के आगमन के रुप में भी मनाया जाता है। सरहुल पर्व में साल व सखुआ वृक्ष की विशेष तौर पर पूजा की जाती है। यह भारत में प्रकृति एवं वृक्षों की पूजा की पुरानी परम्परा का ही हिस्सा है। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है। इसका असर परीक्षा से लेकर यातायात और बाजार तक में दिख रहा है। पर्व त्योहारों को भी कोरोना ने पूरी तरह प्रभावित कर दिया है।
मौके पर ये थे मौजूद
मौके पर उरांव सरना समिति के अध्यक्ष रंजीत तिर्की, उपाध्यक्ष शंकर टोप्पो, अनिल कुजुर, समेत काफी संख्या उरांव सरना समिति के सदस्य मौजूद थे।