चाईबासा : कोरोना ने हाहाकार मचा रखा है। सरकारी व्यवस्थाएं चारों तरफ दम तोडती नजर आ रही है। झारखंड में तो व्यवस्था ऐसी है की लोग सिस्टम के सताए ज्यादा नजर आ रहे हैं। चक्रधरपुर में कोरोना टेस्ट करवाने वाले दो दो हफ्ते तक अपने रिपोर्ट के लिए मारे मारे फिर रहे हैं। टेस्ट के बाद जबतक उन्हें रिपोर्ट दी जा रही है उससे पहले या तो वे कोरोना से पीड़ित होकर मर जा रहे हैं या फिर संक्रमण का खतरा लेकर बार – बार चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं।
रेलवे में कार्यरत पीएस पलोदी बताते हैं की उन्होंने 12 दिन पहले चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल जाकर आरटीपीसीआर के तहत कोरोना टेस्ट करवाया था। टेस्ट करवाने के बाद वे लगातार दस दिनों से अनुमंडल अस्पताल का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें टेस्ट रिपोर्ट नहीं दी जा रही है। अस्पताल की ओर से बताया जा रहा है की उनका टेस्ट रिपोर्ट अबतक बनकर जमशेदपुर से नहीं भेजा गया है। सिर्फ यह एक मामला नहीं है बल्कि कई लोगों को दो-दो हफ्ता बीत जाने के बाद भी कोरोना जांच रिपोर्ट नहीं मिल रही है। सिस्टम ऐसी चरमरायी हुई। यहाँ व्यवस्था है की कोरोना वायरस अनजाने में ही लोग फैलाते चले जायेंगे या तो फिर रिपोर्ट देरी से आने की वजह से पोजिटिव रहने वाले लोग बिना ईलाज व दवा शुरू किये कोरोना से मारे जायेंगे। लोगों का कहना है की ऐसी जांच व्यवस्था से क्या लाभ जब इसके रिपोर्ट का लाभ ही पीड़ित नहीं उठा पायेगा। चक्रधरपुर के विधायक सुखराम उराँव ने भी माना की स्थिति चिंताजनक है। क्योंकि कोल्हान में एकमात्र जमशेदपुर एमजीएम में ही आरटीपीसीआर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। एमजीएम में पूरे कोल्हान से सैम्पल कलेक्ट कर भेजा जा रहा है। जिसकी वजह से वहां लोड ज्यादा पड़ गया है। विधायक ने बताया है की उन्होंने सीएम को खत लिखकर जांच में तेजी आये और ईलाज की माकूल व्यवस्था हो इसको लेकर सुझाव दिए हैं। जल्द ही इसपर निर्णय आने पर स्थिति में सुधार हो सकता है।