चाइबासा : वैश्विक महामारी कोरोनाकाल में जहां चिकित्सक अपने मरीजों का नब्ज़ तक नहीं देख रहे हैं, 2 गज दूरी से बीमार लोगों का इलाज कर रहे हैं। शवों को अपने लोग कांधा देने से कतरा रहे हैं। पड़ोसी पड़ोसियों का अपने अपनों का काम नहीं आ रहे हैं। रिश्तेदार-संबंधी सबकी पहचान गैरों की तरह हो रही है। ऐसी विकट समय में एक हिंदू वृद्ध के पैरों में लगे कीड़ों को साफ करने के लिए ईसाई और मुस्लिम मसीहा बनकर सामने आए। 60 साल से भी अधिक आयु के एक वृद्ध के पैरों में ज़ख्म हुआ था। ज़ख्म में कीड़े लग गए थे। लगभग 20 दिन पहले वह मारवाड़ी शमशान घाट बंगलाटांड में आकर रुका। नदी में स्नान करने के बाद जब वह वापस श्मशान घाट पहुंचा तो फिर उसके
चलने फिरने की शक्ति खत्म हो गई। वह श्मशान घाट में ही बेसुध पड़ा रहा। दिन पर दिन बीतते गए। उसके जख्म का इलाज नहीं हो सका। जिस कारण दोनों पैरों में कीड़े लग गए और मांस को कीड़े अंदर ही अंदर खाने लगे। इन 20 दिनों में वह श्मशान घाट में ही पड़ा रहा और आसपास के मुस्लिम परिवार उन्हें समय पर भोजन देते रहे, लेकिन इलाज नहीं होने के कारण वह दिनों दिन मौत के करीब जाता रहा। बुधवार की सुबह पीड़ित वृद्ध पर दंदासाई के पेंटर मो. समीर की निगाह पड़ी। उन्होंने खिदमत फाउंडेशन के सक्रिय सदस्य मो. सूबान अनवर को इसकी सूचना दी। सूबान ने मानव सेवक एंथोनी फर्नांडो को इसकी खबर दी। एंथोनी फर्नांडो भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी चक्रधरपुर के पेट्रोन हैं। उनके इन्हीं सब सेवा के कारण 2019 में प्रभात खबर की ओर से रांची में तत्कालीन भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के हाथों सम्मानित किया गया था। खबर पाकर एंथोनी फर्नांडो ने हजारों रुपए खर्च कर ड्रेसिंग में उपयोग होने वाली दवाइयां और अन्य सामग्री लेकर मारवाड़ी शमशान घाट पहुंचे। उनके साथ बेनेडिक्ट धरवा और पोटका निवासी मो. इकरामुल हक भी आये। इन दोनों का साथ लेकर एंथोनी फर्नांडो ने करीब 2 घंटे तक पीड़ित वृद्धि के पैरों में लगे कीड़ों को अपने हाथों से साफ किया। सभी कीड़े निकालने के बाद दवाइयां लगाकर बैंडिस कर दिए गए। कीड़े धीरे-धीरे वृद्धि के पैरों को चट कर रहा था। कीड़े निकल जाने के बाद उसने राहत की सांस ली और एंथोनी फर्नांडो का हृदय से आभार व्यक्त किया। जब वृद्ध की स्थिति कुछ सामान्य हुई तो उनसे उनके संदर्भ में जानकारी ली गई। उसने अपना नाम जनक गोप बताया। वह गोइलकेरा प्रखंड के लवजोड़ा गांव का रहने वाला है।उसके परिवार में वेंकट गोप, भरत गोप, सोनाराम गोप आदि सदस्य हैं। वृद्ध हो जाने के कारण वह दरबदर की ठोकरें खा रहा है।