जमशेदपुर : झारखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को छठी जेपीएससी के मसले पर बड़ा फैसला देते हुए परीक्षा की मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया। इससे 326 अभ्यर्थियों की नियुक्ति अवैध घोषित हो गयी है। कोर्ट ने आठ सप्ताह में फ्रेस मेरिट लिस्ट निकालने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय के इस फैसले को युवा और मेहनतकश प्रतिभागियों के हित में न्याय बताते हुए सूबे की मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने हेमंत सरकार को आड़े हाथों लिया है। इस मामले में बीते वर्ष कोविड लॉकडाउन के बीच चोरी छिपे मेधा सूची जारी करने की राज्य सरकार की हड़बड़ी और मंशा पर सबसे पहले सवाल उठाने वाले पूर्व विधायक प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने इसी बहाने झारखंड सरकार पर तेज़ हमला बोला है। कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि हाईकोर्ट का निर्णय स्वागत योग्य है। इससे मेहनतकश युवा प्रतिभागियों संग न्याय होगा जिन्हें चंद अयोग्य लोगों को अफसर बनाने के लिए हेमंत सरकार ने अवसर से वंचित कर दिया था। सोमवार को आये झारखंड हाईकोर्ट के निर्णय के तुरंत बाद कुणाल षाड़ंगी की ट्वीट ने राजनीति में हलचल मचा दिया है। मामले में लगातार आंदोलनरत प्रतिभागियों के बीच जश्न का माहौल है। कुणाल षाड़ंगी, अमर कुमार बाउरी, भानु प्रताप शाही, अनंत ओझा, एवं अन्य सरीख़े भाजपा नेताओं ने भी इस मामले को अपने स्तर से उठाते हुए वर्चुअल प्रदर्शन को भी समर्थन दिया था। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि ‘ईश्वर के घर देर है पर अंधेर नहीं’। भाजपा ने इसी बहाने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को घेरते हुए सवाल किया है कि सीएम को यह बताना चाहिए कि किन चंद अयोग्य लोगों को अफ़सर बनाने की जल्दबाज़ी में उनकी सरकार ने छठी जेपीएससी के मसले पर यू-टर्न लिया था। कहा कि विपक्ष में रहते जेएमएम एवं कांग्रेस ने लगातार जेपीएससी की कार्यशैली के मसले पर सदन को बाधित किया था, वहीं सत्ता में आते ही तमाम विसंगतियों को नजरअंदाज कर के मेधा सूची जारी कर दी गई थी। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि उच्च न्यायालय का निर्णय इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि कई चयनित उम्मीदवारों ने भी मेधा सूची पर असंतोष ज़ाहिर करते हुए न्यायालय में परिवाद दायर किया था। भाजपा ने इस पूरे परीक्षा को दोबारा से कराने की मांग को बल दिया है।