आजसू की कहानी सूर्य सिंह बेसरा की जुबानी जमशेदपुर : सन् 1986 की परिघटना है। 21 जून डॉ. पशुपति प्रसाद महतो के प्रस्ताव पर उड़ीसा राज्य के बारीपदा स्थित चित्रड़ा जाने का कार्यक्रम बना। हमलोग सब पार्टी के कार्यक्रम में जमशेदपुर सोनारी में उपस्थित थे। 21 जून को सुबह अचानक डॉ. पशुपति प्रसाद महतो का प्रस्ताव आया और उसी के अनुरूप आस्तिक महतो की जीप गाड़ी जिसका नंबर 281 था उसी में सवार होकर डॉ. पशुपति प्रसाद महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष निर्मल महतो केंद्रीय सचिव शैलेंद्र महतो मोहन कर्मकार और मैं स्वयं सूर्य सिंह बेसरा सुबह-सुबह जमशेदपुर से बारी-बारी पारा के लिए रवाना हो गए। गाड़ी में सफर करते-करते मैंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की झारखंड छात्र संगठन का नामकरण को लेकर प्रस्ताव रख दिया। इस विषय पर करीब 3 घंटे तक बस चली। मैंने संगठन की स्वरूप का प्रारूप पहले से तैयार करके रखा था। मैंने उसी को प्रस्तुत करते हुए ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू ) का नामकरण के लिए प्रस्ताव रखा। इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप शैलेंद्र महतो ने झारखंड छात्र मोर्चा का प्रस्ताव दिया। इन दो नामों को लेकर काफी तर्क वितर्क हुआ था औऱ बहसबाजी हुई थी। अंतत: डॉ. पशुपति प्रसाद महतो और निर्मल महतो ने आजसू के नाम पर स्वीकृति प्रदान कर दी। तबतक हम लोग बारीपदा से करीब 25 किलोमीटर चित्रड़ा गांव पहुंच गए थे। उड़ीसा क्षेत्रों के झारखंड आंदोलनकारी पदम लोचन ने कार्यक्रम का आयोजन किया था। कार्यक्रम संपन्न होने के बाद खाने-पीने के बाद उसी दिन हम लोग रात को जमशेदपुर लौट आए। दूसरे दिन सुबह करीब 10 बजे सोनारी स्थित झामुमो कार्यालय में एक आपातकालीन बैठक बुलाई। जिसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष निर्मल महतो, केंद्रीय सचिव शैलेंद्र महतो, डॉ. पशुपति प्रसाद महतो, आस्तिक महतो, पत्रकार केदार महतो, सुनील वरन बनर्जी ( टेलीग्राफ ), एसएन सिंह (इंडियन नेशन ), इफ्तिखार हुसैन (आदितवाणी) की उपस्थिति में ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन ( आजसू ) के नामकरण का प्रारूप प्रस्तुत किया। इस प्रकार झारखंड के इतिहास में 22 जून 1986 को ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) की गठन हुआ था। सिंहभूम जिला कमेटी का गठन भी किया गया। जिसका पहला अध्यक्ष- सुसेन महतो, सचिव गोपाल बैनर्जी, और कोषाध्यक्ष विद्युत वरण महतो को मनोनीत किया गया था। उसी बैठक में निर्णय लिया गया कि संयोजक सूर्य सिंह बेसरा, बबलू मुर्मू और हरी शंकर महतो को बनाया गया। 25 जुलाई को ऑल असम स्टूडेंट यूनियन( आसू) के नेता सह असम के मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत तथा गोरखालैंड के नेता सुभाष घिसिंग से भेंट वार्ता के लिए जाएंगे। इसके पूर्व 1979 में जमशेदपुर स्थित बारी मैदान में छोटनागपुर संथाल परगना युवा छात्र संघर्ष मोर्चा के बैनर तले एक विशाल जनसभा में उपस्थित पहली बार मेरी मुलाकात शैलेंद्र महतो से हुई थी। उसी दिन मैंने उनके साथ घोड़ाबांधा आए। शैलेंद्र महतो ने ही मुझे 1979 में ही झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल कराया था। 1980 में शैलेंद्र महतो और मैं दोनों की जुगल जोड़ी नेतृत्व में मुसाबनी में पहली बार दिशोम गुरु शिबू सोरेन की ऐतिहासिक विशाल जनसभा का आयोजित किया था। 1983 में झामुमो की पहली महाधिवेशऩ धनबाद जिले के सरायढेला में हुई थी। मुझे पार्टी के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य के रूप में शामिल किया गया था। झामुमो की दितिय महाधिवेशन 27 – 28 अप्रैल 1986 को रांची स्थित टाउन हॉल में संपन्न हुई थी। मैंने पार्टी की छात्र संगठन का इकाई का गठन करने का प्रस्ताव रखा था। जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया था। उसके बाद 1 जून 1986 को बोकारो में केंद्रीय कमेटी की बैठक में मुझे छात्र संगठन बनाने के लिए संयोजक मनोनीत किया गया था। उन दिनों 1979 से लेकर 1985 तक पूर्वोत्तर राज्यों में छात्रों का उग्र आंदोलन हो रहा था। ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) की हिंसक आंदोलन तथा युवा छात्रों की असम सरकार देश और दुनिया की अखबारों की सुर्खियों में था। पूर्वोत्तर राज्यों के छात्रों की हिंसक आंदोलन से प्रेरित होकर ही आजसू को बनाया।