Home » चाईबासा : नाबालिग बच्चियों को मानव तस्कर के हाथों बचाना पड़ा महंगा, पुलिस ने आठ ग्रामीणों को थाना लाकर जमकर कूटा, छोड़ने के एवज में मांगे दस-दस हजार
चाईबासा : नाबालिग बच्चियों को मानव तस्कर के हाथों बचाना पड़ा महंगा, पुलिस ने आठ ग्रामीणों को थाना लाकर जमकर कूटा, छोड़ने के एवज में मांगे दस-दस हजार
चाईबासा : नक्सल प्रभावित ईलाकों में एक तरफ पुलिस ग्रामीणों का विश्वास जितने के लिए पुलिस अपने व्यवहार में बदलाव ला रही है तो वहीं कुछ जगहों से ऐसी ख़बरें आ रही है जिससे पुलिस की छवि को गहरा दाग लग रहा है । ऐसा ही एक मामला करायकेला थाना क्षेत्र से आयी है । ग्रामीणों को गैर कानूनी तरीके से बच्चों के तस्करी को रोकने की सजा मिली है । पुलिस ने ना सिर्फ इनकी बेरहमी से पिटाई की है बल्कि छोड़ने के एवज में इनसे पैसे भी मांगने का आरोप है । पश्चिम सिंहभूम के एसपी अजय लिंडा ने ये बयान बीते साल 12 अक्तूबर को बंदगाँव प्रखंड में दिया था । आज उसी बंदगाँव प्रखंड में गैर कानूनी तरीके से नाबालिग बच्चियों को रात के अँधेरे में बाहर ले जाने से मानव तस्करों को रोकना ग्रामीणों को महंगा पड़ गया । आरोप है की पुलिस ने इनको थाना लाकर इनकी जमकर पिटाई की और छोड़ने के एवज में प्रत्येक ग्रामीण से दस-दस हजार रुपये भी मांगे । घटना शनिवार रात की बतायी जा रही है । जानकारी के अनुसार देर रात को बंदगाँव प्रखंड के कराईकेला थाना क्षेत्र के लान्दुपदा गाँव में ग्रामीणों ने पुडुचेरी की एक बस को मानव तस्करी के शक में रोका था । इस बस में बिना रजिस्ट्रेशन के नाबालिग बच्चियों को काम कराने के बहाने कोयम्बटूर ले जाया जा रहा था । ग्रामीणों को जब इसकी जानकारी मिली तो ग्रामीणों ने बस चालक को रोककर पूछताछ की और उसके बाद कराईकेला थाने की पुलिस को कॉल कर मौके पर बुलाया । पुलिस मौके पर पहुंची तो जरुर लेकिन उलटे ग्रामीणों के साथ अपराधियों सा व्यवहार किया । पुलिस बस में बैठे बच्चियों के साथ बस के चालक खलासी सहित बस रोकने वाले आठ ग्रामीणों को थाना ले आयी और जमकर उनकी रातभर पिटाई की और उन्हें छोड़ने के एवज में दस-दस हजार रुपये भी मांगे । आदिवासी हो समाज युवा मह्सभा के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ बबलू सुंडी ने कहा है की दोषी पुलिसकर्मियों पर प्रशासन जल्द कार्रवाई करे नहीं तो आन्दोलन किया जायेगा । शशिभूषण सामड ने जिले के पुलिस कप्तान अजय लिंडा को कराईकेला पुलिस की कारस्तानी की जानकारी दी जिसके बाद एसपी के दबाव में कराईकेला पुलिस ने ग्रामीणों को छोड़ दिया । बताया गया की एक ग्रामीण ने किसी तरह कहीं से जुगाड़ कर सात हजार रुपये भी पुलिस को दिए ताकि पुलिस उसे छोड़ दे । शशिभूषण सामड ने कहा की आये दिन क्षेत्र से नाबालिग बच्चियों को काम कराने के बहाने बिना रजिस्ट्रेशन के ले जाया जा रहा है, लेकिन पुलिस इस मामले में सकारात्मक कार्रवाई नहीं कर रही है । उल्टे मानव तस्करी रोकने वाले ग्रामीणों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है । बाहर की कम्पनी से सांठ-गाँठ कर कुछ पुलिसकर्मी मानव तस्करी के कारोबार को संरक्षण देने का काम कर रही है ।
एसपी ने क्या कहा
मामला बेहद गंभीर है । ग्रामीणों का पुलिस पर बढ़ता विश्वास कहीं ना कहीं डगमगा गया है । उम्मीद की जानी चाहिए की इस मामले की जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी ।
क्या कहा थानेदार ने
इस पूरे मामले में कराईकेला थाना प्रभारी दीपक क्रियेशन ने कहा की उनके और उनके पुलिस बल पर जो आरोप लगाया गया है वह निराधार है । जितने भी ग्रामीणों को पुलिस ने पकड़ा था, सभी बस के ड्राइवर से लूट-पाट कर रहे थे और बस पर सवार बच्चियों से छेड़खानी कर रहे थे । इसलिए पुलिस उन्हें थाना लाकर पूछताछ की और छोड़ दिया ।