चाईबासा : चक्रधरपुर में ओत कोल गुरु लाको बोदरा की पुण्यतिथि मनाई गयी। चक्रधरपुर आदिवासी मित्र मंडल में हो समाज से जुड़े लोगों ने उपस्थित होकर स्व. लाको बोदरा की पुन्यतिथि में विधिवत पूजा-अर्चना कर उन्हें याद किया। कार्यक्रम के दौरान सभी ने फूल-माला चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। स्व. लाको बोदरा आदिवासी हो भाषा को पहचान दिलाने वाले महान
साहित्यकार पंडित थे। आदिवासी समाज की हो भाषा को उन्होंने वारंग क्षिति लिपि में ढालकर समाज को एक नयी राह दी। 1940 में वारंग क्षिति नामक लिपि की खोज की और उसे जन-जन में प्रचलित किया। स्व. लाको बोदरा के इस योगदान को आज भी आदिवासी समाज बड़े श्रद्धा के साथ याद करता है और उनके मार्गदर्शन को अनुसरण करने का संकल्प लेता है। आदिवासी समाज आज भी पिछड़ा है लेकिन बदलते दौर में समाज भी विकास की ओर बढ़ रहा है।