जमशेदपुर : झारखंड राज्य आंदोलनकारी सेनानी के केंद्रीय मुख्य संयोजक सूर्य सिंह बेसरा ने झारखंड सरकार को 8 अगस्त तक का अल्टीमेट देते हुए कहा है कि राज्य की ज्वलंत समस्याओं का समाधान करें अन्यथा उलगुलान किया जाएगा ।
क्या हैं मांगें
1932 की खतियान मूलवासी के पहचान के आधार पर स्थानीय नीति परिभाषित करने, झारखंड आंदोलनकारी चिन्हित करण आयोग का पुनर्गठन करने, 22 दिसंबर 2003 में संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत संताली भाषा को मान्यता दी गई है उसे लागू
करने, 2012 में झारखंडी भाषा अर्थात संताली, मुंडारी ,हो , कुरुख, खाड़िया, नागपुरी ,कुरमाली, पंचपड़गानिया और खोरठा के अतिरिक्त बांग्ला ,उड़िया एवं उर्दू को झारखंड के द्वितीय राजभाषा के रूप में अधिसूचित की गई है उसे अविलंब लागू करने, पेशा कानून 1996 के तहत ग्राम सभा को अधिकार देते हुए हमारे गांव में हमारा राज कायम करने, समता जजमेंट -1997 को पांचवी अनुसूची अंतर्गत सख्ती से लागू करने, वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत जल जंगल जमीन का अधिकार लागू करने संबंधी मांगें शामिल हैं।
आंदोलनकारियों को नहीं मिला सम्मान
शिबू सोरेन के नेतृत्व में अनगिनत आंदोलनकारी शहीद हुए हैं और तो और हजारों आंदोलनकारियों ने त्याग और बलिदान दिया है । दुर्भाग्यवश शिबू सोरेन झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री बने थे । उन्हीं के सुपुत्र हेमंत सोरेन दो बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन अभी तक करीब 50,000 आंदोलनकारियों की पहचान और सम्मान तथा पेंशन का मामला लंबित है । 2012 में झारखंड आंदोलनकारी चिन्हित करण आयोग का गठन हुआ था और अब आयोग को खत्म कर दिया गया है । बार-बार सरकार को ज्ञापन देने के बावजूद सरकार की उदासीन रवैये के कारण आंदोलनकारी आज भी सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं । बेसरा ने जोरदार शब्दों में मांग रखी है कि पेसा कानून 96 को पांचवी अनुसूची क्षेत्र में लागू करें अर्थात ग्रामसभा को अधिकार दे, साथ ही साथ वन अधिकार अधिनियम 2006 को सख्ती से लागू करें अन्यथा 8 अगस्त के बाद झारखंड में फिर से उलगुलान होगा । इसके लिए आंदोलनकारी तैयार हैं।