सरायकेला-खरसावां : आधुनिकता की दौर में जहां लोग चांद पर बसने की अलौकिक सच्चाई पर कदम बढ़ाने को आतुर हैं वहीं सरायकेला-खरसावां जिला के ईचागढ़ प्रखंड क्षेत्र के पातकुम पंचायत के बरडीह, बीसुनडीह, हुरलुंग, बनियाडीह गांव के लोग आज भी पगडंडी वाले रास्ते पर आने-जाने को मजबूर हैं। प्रखंड मुख्यालय से महज दो किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित बरडीह गांव आजादी के बाद और झारखंड अलग राज्य बनने के बाद आज भी एक अदद रास्ता को तरस रहे हैं । ग्रामीणों ने बरडीह से दालग्राम तक करीब एक किलोमीटर रास्ता बनाने की ठान ली और काम भी शुरू सुरू कर दिया । ग्रामीण महिला-पुरूषों ने श्रमदान कर रास्ते का निर्माण कर रहे हैं । ग्रामीण अपने रैयती जमीन पर 10-12 फीट चौड़ा रास्ता भूमिपूजन के बाद शुरू कर दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि जन प्रतिनिधियों को रास्ता बनाने के लिए गुहार लगाते थक गए हैं। हर बार चुनाव के समय बड़े-बड़डे वायदे किए जाते हैं। चुनाव जीतते ही वे भुल जाते हैं । बरसात के दिनों में मरीज को ढोकर सड़क तक लेकर जाना पड़ता है। इस रास्ते का निर्माण हो जाने से बरडीह, बीसुनडीह, बनीयाडीह और हुरलुंग गांव के लोगों को आने-जाने में सहुलियत होगी ।