जमशेदपुर : सरायकेला-खरसावां जिले के ईचागढ़ प्रखंड के दारूदा गांव का रहने वाला 10 लाख रुपये का ईनामी माओवादी महाराजा प्रमाणिक ने गुरुवार की सुबह सरेंडर कर दिया है। उसे माओवादी संगठन से दो दिनों पूर्व ही निकाला गया था। इसके बाद से ही महाराजा प्रमाणिक को लग रहा था कि अब उसकी खैर नहीं है और उसने सरेंडर कर दिया। उसके सरेंडर करने के राज का खुलासा दक्षिणी जोनल कमेटी के प्रवक्ता अशोक दा की ओर से की गई है। उसने बयान जारी करके पूरी घटना की जानकारी दी है और कहा है कि महाराजा इन दिनों संगठन में रहकर गद्दारी करने का काम कर रहा था। ववह पुलिस के आला अधिकारियों के संपर्क में था और संगठन की गितिविधयों का भी भांडोफोड़ कर रहा था। फिलहाल पुलिस उसे लेकर उसी की निशानदेही पर छापेमारी अभियान चला रही है।
पुलिस के लिए बना था चुनौती
10 लाख का ईनामी महाराजा प्रमाणिक पुलिस बल के लिए भी चुनौती बना हुआ था। सरायकेला-खरसावां जिले में पुलिस बल की ओर से लगातार सर्त ऑपरेशन चलाकर उसकी गिरफ्तारी का भी प्रयास किया जा रहा था। इस बीच उसकी पुलिस के साथ मुठभेड़ भी हुई थी, लेकिन वह फरार होने में सफल रहा था।
खुफिया एजेंसी के संपर्क में था
माओवादी महाराजा प्रमाणिक कुछ माह से खुफिया एजेंसी के भी संपर्क में था। वह संगठन की गतिविधियों को पहले से ही लीक करता था। इसती पुख्ता जानकारी मिलने के बाद ही महाराजा प्रमाणिक को संगठन से निकाल दिया गया है।
संगठन में 13 सालों से कर रहा था काम
महाराजा प्रमाणिक माओवादी संगठन में पिछले 13 सालों से काम कर रहा था। 13 साल पहले वह भाकपा माओवादी संगठन से जुड़ा था। उसके काम को देखते हुए 2 साल के बाद ही उसे एरिया कमेटी का सब जोनल सदस्य बनाया गया था।
बीमारी का बहाना बनाकर पुलिस अधिकारियों से मिलने का लगाया आरोप
संगठन के प्रवक्ता ने आरोप लगाया है कि महाराजा प्रमाणिक अपनी बीमारी का बहाना बनाकर बाहर निकलता था और पुलिस अधिकारियों से मिलकर सभी विभागीय रिपोर्ट को साझा करने का काम करता था। इसकी जानकारी संगठन को पहले से ही मिल गई थी। इसके लिए संगठन की ओर से उसे सजा देने की भी घोषणा की गई थी। महाराजा ने शादी नहीं की है। घर में माता-पिता के साथ-साथ भरा-पूरा परिवार है।
चार माह से उसकी की जा रही थी रेकी
संगठन की ओर से उसकी रेकी पिछले चार माह से की जा रही थी। रेकी के बाद ही पूरे मामले का खुलासा हुआ है। अब अगर वह सरेंडर नहीं करता तब वह या तो पुलिस या संगठन के हाथों मारा जा सकता था।