जमशेदपुर : ग्रामीण महिलाओं को स्वलम्बी बनाने को लेकर केंद्र सरकार ने मत्स्य विभाग की ओर से शहरों में रंगीन मछलियों को पालने का चलन लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में किसान मछली पालन के साथ-साथ रंगीन मछलियों को पालकर और ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। अपने आप को एक रोजगार के साथ जोड़कर अपना जीवन-यापन भी कर सकते हैं। इसके तहत जिला मत्स्य पाधिकारी सह मुख्य कार्यालय पाधिकारी की ओर से पोटका ओर बोड़ाम प्रखंड की 25 महिलाओं को रंगीन मछली पालन करने का कीट दिया गया इससे आदिवासी अनुसूचित जाति जनजाति की महिलाएं स्वलम्बी बन सके और अपने गांव के बाजार में बिक्री कर अपने आप को स्वलम्बी बना सकें। किसानों की आय को दोगुना करने के लिए संस्थान और विभाग की ओर से आदिवासी जनजाति महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है। आदिवासियों महिलाओं ने कहा कि कोरोना के दौरान घर की खर्च में कमी आई थी। रोजगार नहीं होने से हमलोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। आज खुशी की बात है की हमलोगों को रंगीन मछली पालने की सामग्री दी गई।
20 हजार रुपये का दिया गया कीट
झारखंड के हर जिले की आदिवासी जन जाति महिलाओं के बीच विभाग की ओर से हर महिला को 20-20 हजार का इक्विमेंट दिया गया है। इसमें एफआरपी टैंक, रेटर, फिल्टर कॉरटाइन टैंक, ऑक्सीजन मोटर सहित सभी महिलाओं को 150 पीस मछलियां भी दी गयी है। सभी मछलियां ऑटोब्रिज की हैं। इससे ब्रिडिंग कराने में समस्या नहीं होगी। मछली को क्वारंटीन करने और बेचने के लिए जाल की भी सुविधा दी गयी है। उत्पादन बेहतर करने से इन महिलाओं को सालाना दो से ढाई लाख रुपये तक की आमदनी हो सकती है। जिला मत्स्य पदाधिकारी की मानें तो इसे पोटका-बोड़ाम प्रखंड में पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया गया है ।