जमशेदपुर : पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने झारखंड अलग राज्य बनने के 21 सालों के सफर को अपने तराजू में वजन किया है और कहा है कि रघुवर दास की भाजपा सरकार और हेमंत सोरेन की जेएमएम की सरकार में ज्यादा फर्क नहीं है। पहले रघुवर दास ने दुनियाभर के पूंजीपतियों और उद्योगपतियों को निवेश के लिए रांची बुलाकर विकास का हाथी उड़ाया था। अब हेमंत सोरेन सरकार ने झारखंडी जन की नजरों से बच बचाकर रांची नहीं दिल्ली में 27 और 28 अगस्त 2021 को निवेशकों को आमंत्रित किया। 10 हजार करोड़ के पूंजी निवेश पर करार हुआ है। पूंजीपति और उद्योगपति झारखंड के जल, जंगल, जमीन, खनिज और जन संपदा का दोहन शोषण करेंगे। अबुआ दिसुम अबुआ राज को उजाड़ेंगे। आदिवासी भाषा संस्कृति और सरना धर्म को बर्बाद करेंगे।
20 सालों में भी झारखंडी डोमिसाइल नीति नहीं बनी
रघुवर सरकार ने तब सीएनटी-एसपीटी कानून को तोड़ने की कोशिश की थी जिसे सेंगेल ने जबरदस्त जन-आंदोलन और झारखंड हाईकोर्ट के मुकदमों से उसे रोक दिया था। हेमंत सरकार ने अभी 23.3.21 को विधानसभा में सीएनटी-एसपीटी कानून को तोड़कर लैंड पुल का बिल पास किया है। तो रघुवर सरकार ने लैंड बैंक बनाया था। विकास के नाम पर झारखंड के भू-भाग का तथाकथित विकास हो सकता है। मगर आदिवासी-मूलवासी जन का विनाश तय है। चूकि झारखंड बने 20 वर्षों में न न्यायपूर्ण झारखंडी डोमिसाइल नीति, न न्यायपूर्ण आरक्षण नीति, न न्यायपूर्ण नियोजन नीति बनी है। उसी प्रकार पूर्व में विस्थापितों और भविष्य में विस्थापित होने वालों के लिए भी न्यायसंगत पुनर्वास नीति नहीं बनी है। रघुवर दास ने जहां झारखंडियों के दिलों में डर और खौफ पैदा कर दिया था वहीं आज हेमंत सोरेन की सरकार भी वही कर रही है। भोले-भाले आदिवासियों को पिता-पुत्र लंबे अरसे से बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं।
पांच राज्यों में सरकार का पुतला फूंकने का निर्णय
सेंगेल की ओर से 31 अगस्त को झारखंड, बंगाल, बिहार, आसाम और उड़ीसा के आदिवासी बहुल जिलों में राष्ट्रपति के नाम 7 सूत्री मांग पत्र के साथ हेमंत सोरेन सरकार का पुतला दहन कर विरोध-प्रदर्शन करेगी।