चाईबासा : पश्चिम सिंहभूम के सारंडा में लकड़ियों की तस्करी की चरम पर है। इन अवैध लकड़ियों का ओडिशा के रास्ते खरीद-बिक्री का काम धड़ल्ले से चल रहा है। इसका खुलासा तब हुआ जब ओडिशा के राउरकेला वन भाग की टीम ने छापामारों कर भारी मात्रा में लाखों की लकड़ियाँ बरामद की। ये सभी लकड़ियाँ झारखण्ड से तस्करी कर ओडिशा ले जाए गए थे। राउरकेला डीएफओ यशवंत सेठी को गुप्त सुचना मिली थी की झारखण्ड के सारंडा से कीमती लकड़ियों को तस्करी कर ओडिशा बिश्रा थाना क्षेत्र के झारबेड़ा महतो टोली में स्टोक किया जा रहा है। इस सुचना पर डीएफओ ने महतो टोली में छापामारी कर लाखों की लकड़ी जब्त की है। बताया जा रहा है की यहाँ फर्नीचर बनाने का बाकायदा अवैध आरा मिल चल रहा था।
तस्करी की लकड़ी से बनाये जा रहे थे सोफे व पलंग
यहाँ ना सिर्फ लकड़ी के बोटे बरामद किये गए बल्कि लकड़ी से बने पलंग, सोफे और शोकेस जैसी आदि चीजें भी बरामद की गयी है। जब्त की गयी लकड़ियों की कीमत 15 से 20 लाख रुपये बतायी जा रही है। अभी भी कुल कीमत का आंकलन का काम जारी है। इस मामले में राउरकेला वन विभाग ने एक लकड़ी तस्कर को भी गिरफ्तार किया है जिसका नाम सदाशिव महतो है, जबकि कुछ लोग अभी भी फरार बताये जा रहे हैं।
अवैध आरा मिल को किया ध्वस्त
राउरकेला वन विभाग ने डीएफओ यशवंत सेठी के नेतृत्व में झारबेड़ा गाँव के छह घरों में ताबड़तोड़ एक के बाद एक छापामार और इस छापामारी में अवैध आरा मिल को ध्वस्त कर दिया। ओडिशा वन विभाग की कार्रवाई ने झारखण्ड पश्चिम सिंहभूम वन विभाग के कार्य को सवालों के घेरे में डाल दिया है। पश्चिम सिंहभूम के सारंडा से इतने बड़े पैमाने में कीमती लकड़ियों की तस्करी हो रही है। लेकिन यहाँ वन विभाग के द्वारा लकड़ी लकड़ी तस्करी को रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। यही वजह है की सारंडा से बड़े पैमाने पर कीमती लकड़ियाँ बड़ी आसानी से ओडिशा सहित अन्य राज्यों में तस्करी कर दी जाती हैं।