जमशेदपुर : हिंदी दिवस के अवसर पर मंगलवार को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, झारखंड प्रदेश का प्रांतीय कार्यशाला का ऑनलाइन आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत ओम ध्वनि के साथ किया गया तथा कार्यक्रम की भूमिका एवं विषय प्रवेश, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रांत सहसंयोजक सह सरला बिरला विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर डॉ विजय कुमार सिंह के द्वारा प्रस्तावना के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। उन्होंने हिन्दी दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मां, मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं है। हमलोग सिर्फ हिन्दी दिवस मनाते हैं जो सिर्फ औपचारिकता बस रह जाता है। इसको सम्मान देते हुए अपनी आदत में शामिल करते हुए हिंदी को आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
डॉ रणजीत प्रसाद ने कहा कि सभी भाषाएँ मातृभाषा है हिंदी सम्पर्क भाषा है। बहुत बड़े भूभाग में बोले जाने के कारण इसे राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ। हिन्दी से प्यार का अर्थ किसी अन्य भाषा से नफरत नहीं है। हम हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए छोटे-छोटे कार्य कर सकते हैं। कार्यक्रम के बारे में विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। पुरे भारत में इसके संगठन का विस्तार हुआ है। कार्यशाला के मुख्य अतिथि और वक्ता डॉ विजय कांत दास (क्षेत्र संयोजक सह सदस्य बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग) ने न्यास के विविध विषय चरित्र निर्माण, मूल्य परक शिक्षा और व्यक्तित्व विकाश, पर्यावरण शिक्षा, प्रबंधन शिक्षा, कार्य विभाग ( प्रकाशन, प्रचार प्रसार, महिला कार्य विभाग) पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। न्यास के मुख्य उद्देश्यों से भी अवगत कराया। बैठक में शामिल अतिथियों का परिचय श्री महेंद्र सिंह जी द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ कविता परमार ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रांत अध्यक्ष डॉक्टर अखोरी गोपाल सहाय ने हिंदी कीविशेषता बताते कहा कि हिन्दी भाषासिर्फ अभिव्यक्ति नहीं बल्कि सक्ति और साहस भी है। बिना हिन्दी के उन्नति के हमारी उन्नति संभव नहीं है। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन अमरकांत झा ने ज्ञापित किया तथा शांति मंत्र के साथ बैठक संपन्न हुई। बैठक में कुल 70 के करीब प्रतिभागी शामिल रहे।
कौन-कौन रहे उपस्थित
इस अवसर पर डॉ रंजीत प्रसाद पालक अधिकारी , डॉ मनीषझा, डॉ कल्याणीकबीर, श्रीमतिमंजूसिंह, डॉ अनिताशर्मा, डॉ सुशील कुमारशुक्ला, डॉ विनिता परमार, डॉ श्वेता, जितेंद्र त्रिपाठी, डॉ अमृत कुमार, चंचल भण्डारी, शिव प्रकाश, डॉ हिमाद्रि शेखर दत्ता, डॉ ब्रज कुमार विश्वकर्मा, दयाल कुमार ईस्वर, डॉ रामकेश पांडे, विजया नंद दास, संजय प्रभाकर, डॉ. जंग बहादुर पांडेय, न्यास के प्रचार प्रमुख डॉ भारद्वाज शुक्ल आदि उपस्थित थे।