जमशेदपुर : झारखंड अलग राज्य बनने के बाद सबसे पहले यह मांग उठी थी कि टाटा से रांची के बीच शार्टकट रेलवे लाइन बिछाई जाए, ताकि रेल यात्री कम समय में रांची पहुंच सके। मांग को डेढ़ दशक पहले पुरजोर तरीके से टाटानगर रेलवे स्टेशन पर आयोजित समारोह में तब उठाया गया था, जब पूर्व रेल राज्यमंत्री दिग्विजय सिंह पहुंचे हुए थे। तब उन्होंने घोषणा की थी कि इस काम को शीघ्र ही कर दिया जाएगा। इसके लिए रेल जीएम से लेकर मंडल के डीआरएम तक को इस दिशा में पहल करने के लिए कहा गया था। आदेश के बाद सर्वे का काम भी शुरू कराया गया था। इसकी रिपोर्ट भी सौंपी गई थी। इसके लिए सबसे बड़ा पेंच पहाड़ी ईलाका होने के कारण इस दिशा में अभी तक पहल नहीं की गई। विभागीय रेल अधिकारियों ने तब कहा था कि अगर इस काम को कर दिया जाता है तो मात्र डेढ़ घंटे में ही टाटा से रांची पहुंच सकते हैं। समय से साथ रेल अधिकारियों का ट्रांसफर होने के बाद सबकुछ धरा-का-धरा ही रह गया। वर्तमान में रेल मार्ग से रांची जाने में 4 से 5 घंटे तक का समय लग जाता है।
टाटा-रांची ट्रेन को रिस्पांस नहीं मिलने से हुई थी बंद
अलग राज्य बनने के बाद टाटा-रांची के बीच एसी ट्रेन का परिचालन शुरू कराया गया था। इस ट्रेन को रेल यात्रियों का रिस्पांस नहीं मिलने के कारण रेलवे की ओर से ट्रेन को बंद करना पड़ा था। इसके बाद दूसरी ट्रेन का परिचालन अभी तक नहीं किया गया है।