Chakradharpur : यूक्रेन से चाईबासा के तीन छात्र सही सलामत अपने घर पहुंच गए हैं। घर वापसी पर जहां उनके चेहरे पर खुशी का मुस्कान है वही परिवार के लोग भी राहत की सांस ले रहे हैं। भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम की भी सराहना कर रहे हैं। 9 दिनों तक इन छात्रों ने जो दुख दर्द सहा है, जिस डर के माहौल में इनका एक-एक पल बीता है, उसे इनके चेहरे पर साफ साफ पढ़ा जा सकता है। परिवार के बीच पहुंचकर इनके चेहरे पर मुस्कुराहट तो लौट आई है लेकिन उसके पीछे एक दर्द छुपा हुआ है। चाईबासा निवासी जतींद्र सिंह की बेटी दिव्या सिंह यूक्रेन के खारकीव में मेडिकल की तृतीय वर्ष की छात्रा है। वहीं रितेश मुंधड़ा का पुत्र वैभव मुंधड़ा यूक्रेन के लवीव शहर में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है। महेश पात्रा का पुत्र राहुल पात्रा भी यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई के लिए गया हुआ था। यह तीनों छात्र सही सलामत घर वापस आ गए हैं। इनके घरों में खुशी का माहौल है। यूक्रेन से छात्रों को भारत लाने के लिए केंद्र सरकार ने जो कुछ किया उसकी भी प्रशंसा कर रहे हैं। छात्रों ने बताया कि किस तरह से वह यूक्रेन से बाहर निकले और फिर पोलैंड के रास्ते भारत लौटे और आज चाईबासा में अपने घर पर हैं। वैभव के परिवार में छाई ख़ुशी
यूक्रेन के लवीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के चौथे वर्ष की पढ़ाई कर रहे वैभव मुंधड़ा के के घर वापसी से पूरा परिवार खुश है। वैभव के दादा उसके घर पहुंचते ही गले मिल कर रो पड़े। काफी देर तक परिवार का माहौल गमगीन बना रहा। लेकिन घर के बच्चे को घर में पाकर फिर खुशी का माहौल कायम हो गया। परिवार के सभी सदस्यों ने मिलकर मिठाई खाई और खुशियां साझा की। वैभव के पिता रितेश मुंधड़ा यूक्रेन में फंसे बाकी बच्चों की घर वापसी के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं। यूक्रेन से चाईबासा तक वैभव कैसे पहुंचा इसके बारे में उसने बताया।