Chaibasa : चक्रधरपुर के पम्प रोड में आदिवासी उराँव समाज की बुजुर्ग महिला बुधिया कुजूर की मौत के बाद मृतक के घरवालों को उराँव समाज के द्वारा सामाजिक बहिष्कार का दंश झेलना पड़ा। महिला की मौत के बाद उराँव समाज के लोगों ने समाज के कब्रिस्तान में मृतक को दफ़नाने का विरोध किया जिसके बाद मामला काफी गरम हो गया। मृतक के परिजनों ने पुलिस को सुचना देकर मामले में हस्तक्षेप कर न्याय की गुहार लगाई मौके पर पुलिस पहुंची और मृतक के परिजन व उराँव समाज के लोगों को समझाने की कोशिश की। मृतक के परिजन संदीप कुजूर और उराँव समाज के लोगों के साथ बैठक हुई। जिसमें निर्णय लिया गया की मृतक के शव को समाज के द्वारा पुरे विधि विधान के साथ दफनाया जायेगा। लेकिन शर्त यह होगी की मृतक के परिजन दो दिन बाद समाज के लोगों के साथ बैठक कर समाज और उनके बीच जो विवाद है उसे सुलझा लिया जायेगा।
बैठक कर बन सकती है सहमती
इसपर दोनों पक्ष में सहमती बनी और मृतक के शव को उराँव समाज के रीती रिवाज के अनुसार दफनाया गया। उराँव समाज के संदीप होनहागा ने बताया की मृतक के परिजनों के साथ समाज का विवाद वर्ष 2008 से चला आ रहा है। मृतक बुधिया कुजूर की बेटी आभा कुजूर के एक जमीन के विवाद में उराँव समाज ने वर्ष 2008 में बैठक बुलाई थी, लेकिन इस बैठक में आभा कुजूर नहीं आई। उराँव समाज का आरोप है की इसके कुजूर परिवार समाज के साथ नहीं चला। जिसके बाद उराँव समाज ने बुधिया कुजूर के परिवार का सामाजिक बहिष्कार का निर्णय लिया। इसी निर्णय के अलोक में उराँव समाज मृतक परिवार के साथ आज खड़ा नहीं है। बहरहाल शुक्रवार को हुए दोनों पक्ष के बीच गहमा गहमी के बाद दो दिन में बैठक पर सहमती बनी है। अगर इस बैठक में कुजूर परिवार शामिल नहीं हुआ तो मामला फिर से बिगड़ सकता है।