Jamshedpur : जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने प्रवर्तन निदेशालय के उप निदेशक को एक पत्र लिखकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके प्रमुख सहयोगी रवि केजरीवाल, उनके संबंधियों एवं निकटवर्तियों से जुड़ी 32 मुखौटा कंपनियों की जांच किये जाने की मांग की है। इस पत्र के साथ उन्होंने इन कंपनियों की सूची भी संलग्न की है। उन्होंने अपने पत्र में बताया है कि रवि केजरीवाल इनमें से 4 कम्पनियों में, अमित कुमार अग्रवाल 6 कम्पनियों में और राधाकृष्ण अग्रवाल 8 कम्पनियों में निदेशक थे। शेष में हेमन्त अग्रवाल 3 कम्पनियों में, दशरथ अग्रवाल 2 कम्पनियों में और अन्य एक-एक कम्पनियों में निदेशक थे। ये सभी कारोबारी परस्पर संबंधित थे। यदि अभी माननीय झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत मुखौटा कंपनियों की सूची में ये कंपनियाँ भी शामिल हैं तो इन सभी के परस्पर संबंधों की जाँच प्रवर्तन निदेशालय को करना चाहिए। 13 जुलाई 2013 को हेमंत सोरेन जब प्रथम बार मुख्यमंत्री बने थे तभी उन्होंने इसकी जानकारी दी थी।
पीओ बॉक्स के नंबर के आधार पर बनी फर्जी कंपनियां
2013 से पूर्व और अबतक इन कम्पनियों में हुए निवेशों एवं लेन-देन की जाँच करने पर बड़ा खुलासा होने से इंकार नहीं किया जा सकता। ये कम्पनियाँ ब्लैक मनी को ह्वाइट करने का एक नायाब औजार थी। उस वक्त को कलकत्ता और अभी के कोलकाता के महात्मा गांधी रोड और गणेश चंद्र एवेन्यू इन शेल कंपनियों का ठिकाना था। आज भी इन दोनों ठिकानों पर छोटे-छोटे पीओ बॉक्स नजर आ जाएंगे। इन्ही पीओ बॉक्स के नंबर के आधार पर फर्जी कंपनियां बनायी जाती थी। सभी कंपनियों का पता होता था पिन कोड नंबर 700001 से लेकर 700091 कहा जाए तो ये डब्बा ही कंपनी होती थी। जिसके जरिए मनी लॉन्ड्रिंग का काम होता था। इस काम में रवि केजरीवाल को महारत हासिल थी।
2016 में मुखौटा कंपनियों के विरूद्ध हुई थी कार्रवाई
2016 में नोटबंदी के बाद केन्द्र सरकार ने मुखौटा कंपनियों के विरूद्ध बड़ी कारवाई किया था। कई कंपनियाँ उसके बाद से बंद हो गई या अपंजीकृत हो गई। संलग्न सूची में शामिल कंपनियों की स्थिति इस संदर्भ में जाँच के बाद ही पता चलेगी। प्रश्न है कि इसके बाद इनमें से कितनी कंपनियाँ अभी भी अस्तित्व में हैं और इन्हे मुखौटा कंपनी कहना कितना मुनासिब होगा।