Ranchi : दामोदर और स्वर्णरेखा नदियों को प्रदूषण मुक्त करने का अभियान के शुरू हो चूका है। रविवार को जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय के नेतृत्व में स्वर्णरेखा नदी प्रदूषण समीक्षा अभियान का शुभांरभ नदी के उदगम स्थल, नगड़ी स्थित ‘रानीचुँआ’ से हुआ। नदी पूजन में अभियान दल के सदस्य सहित नगड़ी के गणमान्य अतिथिगण भी शामिल थे। यात्रा के क्रम में सरयू राय ने सरकार से आग्रह किया कि रानीचुँआ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाय। इस विषय पर उन्होंने पिछले दिनों पर्यटन सचिव से बात भी की है। पर्यटन सचिव ने इस पर सकारात्मक रूख अपनाया है। उन्होंने कहा कि इस स्थान का सौन्दर्यीकरण करने की आवश्यकता है, इस स्थान पर वृक्षारोपण भी किया जाना चाहिए।
कंपनिया नदी में बहा रही गंदा पानी
सरयू राय के अनुसार राँची सहित जमशेदपुर में औद्योगिक एवं नगरीय प्रदूषण की समस्या काफी गंभीर हो गई है। प्रतिष्ठान अपने अपशिष्ट का समुचित निस्तारण किये बगैर सीधे नदी में बहा देते है वहीं शहरी घरों के सिवरेज पानी बिना परिशोधन के नालों के माध्यम से नदी में प्रवाहित हो रहा है, जिससे नदी का जल अत्यधिक प्रदूषित हो गया है। अभियान दल के सदस्यों ने उदगम स्थल से लगे स्वर्णरेखा नदी के किनारे-किनारे लगभग 3 किलोमीटर पैदल चलकर नदी का निरीक्षण किया। इसमें पाया गया कि नदी का जल राईस मिल के प्रदूषण के प्रभाव से पानी अत्यधिक काला हो गया है। साथ ही यह भी पाया गया कि किसानों के खेतों में ट्रेक्टर के माध्यम से भूसा एवं अपशिष्ट गिराया जा रहा है, जिससे खेतों में काली परत जम गयी है। उन्होंने कहा कि नदी को साफ रखना केवल सरकार का काम नहीं है, हमारा भी नैतिक कर्तव्य बनता है कि हम नदी को साफ रखे, उसमें किसी प्रकार का कचरा नहीं फेंके। जन सहयोग से ही इस भागीरथी प्रयास को सार्थक किया जा सकता है।
चावल मिलों के कारण प्रदूषण की समस्या भयावह
स्वर्णरेखा नदी प्रदूषण समीक्षा अभियान के संयोजक डॉ. एम.के. जमुआर ने कहा कि रानीचुँआ के पास स्थित पांडु गांव के ग्रामीणों से सम्पर्क करने पर ज्ञात हुआ कि नदी के किनारे अवस्थित चावल मिलों के कारण प्रदूषण की समस्या भयावह हो गयी है। अभियान दल के सभी सदस्य ‘सारवी राईस मिल’ गये, जो गाँव से 500 मीटर की दूरी पर है। मिल में पर्यावरण प्रदूषण को रोकने की व्यवस्थाओं का पूर्णतः अभाव देखा गया। अभियान के अगले पड़ाव में लोग कुदलौंग पहुंचे, जहाँ नदी पर एक चेक डैम बना हुआ है, जिसका निरीक्षण करने पर राईस मिल से निकले प्रदूषित जल एवं भूसा भरा हुआ पाया गया दल में शामिल वैज्ञानिकों द्वारा जल एवं गाद का नमूना लिया गया। धुर्वा डैम का निरीक्षण करने के क्रम में आसपास में लोगों से सम्पर्क करने पर पता चला कि पानी का रंग पहले की अपेक्षा काला हो गया है। मछलियाँ मर रही है तथा पानी के कारण शरीर में खुजली की समस्या भी रहती है।
यह रहे मौजूद
अभियान में स्वामी विवेकानंद ग्रामीण विकास संस्थान, महाराणा प्रताप सेवा संस्थान, एचईसी ऑफीसर एसोसिएशन, आईएफएस वाईफ एसोसिएशन, एस.एन.सिन्हा इंस्टिच्यूट एंड बिजनेस मैनेजमेंट, सूर्य मंदिर ट्रस्ट, लीलावती ट्रस्ट, मरांग गोमके जयपाल सिंह फाउंडेशन, सूर्या एजुकेशन वेलफेयर सोसाईटी के प्रतिनिधिगण उपस्थित थे। यात्रा दल में संयोजक डॉ. एम.के. जमुआर, तापेश्वर केशरी, अंशुल शरण, श्री आशीष शीतल मुडा, ए. विक्रमा, सुधीर कुमार ‘समीर’, रितेश झा, उमेश दास, अजय साह आदि उपस्थित थे।