जमशेदपुर।
एक्सएलआरआइ में इंस्पायरस 2022 का आयोजन किया गया. एक्सएलआरआइ पीजीडीएम (जीएम) की अोर से आयोजित इस कॉन्क्लेव में अलग-अलग क्षेत्र की पांच सफल महिला उद्यमियों ने अपने जीवन के अनुभवों को एक्सलर्स के साथ साझा किया. इस दौरान बताया कि किस प्रकार उन्होंने अपने जीवन की चुनौतियों को लगन-संघर्ष व मेहनत के बल पर उसे उम्मीदों में बदला. इस कार्यक्रम के दौरान मुख्य रूप से यह बात उभर कर सामने आयी कि पुरुष और महिलाएं दोनों आवश्यक हैं. जीवन के इस यात्रा में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए दोनों को एक-दूसरे का समर्थन करना और एक इकाई के रूप में एकजुट होना जरूरी है. महिला सशक्तिकरण कोई लिंग केंद्रित कार्य नहीं है. पुरुषों और महिलाओं दोनों की अपनी-अपनी चुनौतियां होती हैं, स्थिति तब आदर्श हो जाती है जब दोनों एक टीम के रूप में मिलकर काम करते हैं. कार्यक्रम का संयोजन एक्सएलआरआइ की अोर से डॉ. टीना के. स्टीफन ने किया. सह संयोजन का कार्य प्लेसमेंट कमेटी की सदस्य मो. उर्वशी कौल अौर दिव्या एनामंद्रा ने किया.
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ये पैनलिस्ट थे वक्ता के रूप में उपस्थित
1. आराधना खेतान- संस्थापक और प्रबंध निदेशक, मान्या एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड
2. अनुरंजिता कुमार- सह-संस्थापक और सीईओ, वी-ऐस
3. मास्टरशेफ शिप्रा खन्ना, भारतीय सेलिब्रिटी शेफ, लेखक, रेस्टोरेंट मालिक, टीवी पर्सनैलिटी
4. शालिनी पिल्ले- ऑफिस मैनेजिंग पार्टनर, बैंगलोर व इंडिया लीडर- ग्लोबल क्षमता केंद्र, केपीएमजी इंडिया
5. टीना के. स्टीफन- एक्सएलआरआइ
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सही समय पर सही चीजों को करने का अपना एक तरीका होता है
वक्ता के रूप में मौजूद अनुरंजिता कुमार और शालिनी पिल्ले ने अपनी बातों को प्रस्तुत करते हुए सफलता की कहानियां बयां की. कहा कि वे अपने जीवनसाथी की मदद से भी काफी कुछ समझते हैं. आराधना खेतान ने कहा कि समाज में प्रतिबंधात्मक विचारों अौर विचारों के आधार पर महत्वाकांक्षाएं पूरा करने के लिए ये जरूरी है कि अाप खुद पर संयम रखें. उन्होंने व्यवसाय शुरू करने में आने वाली चुनौतियों के साथ ही आगे वाली कठिनाइयों से जुड़ी बातों से भी सभी को अवगत कराया. उसने सलाह दि कि अज्ञात परिणामों की चिंता या भय के बिना आगे बढ़ा जा सकता है. कहा कि सही समय पर सही चीजों को करना महत्वपूर्ण है. शालिनी ने कॉर्पोरेट सीढ़ी पर उच्च महिलाओं पर ध्यान केंद्रित किया बताया बताया कि कैसे उन्हें कभी-कभी उनके सवालों के अधीन किया जाता है. उन्होंने सलाह दी कि चीजें मुश्किल होने पर भी खुद पर विश्वास करना बंद न करें. आगे का रास्ता संकरा लेकिन साफ हो जाता है. ऐसी स्थितियों में एक-दूसरे की मदद करने और उन पर भरोसा करने में सक्षम होने के लिए एक बेहतर भविष्य के लीडर का पोषण करना महत्वपूर्ण है. अनुरंजिता ने कहा कि महिलाओं में असफलता का डर बहुत अधिक होता है, खासकर उन महिलाओं के लिए जिन्हें उच्च पदों पर पदोन्नत किया जाता है. महिलाओं में आत्म-संदेह और आत्म-आलोचना जन्मजात होती है, क्योंकि महिलाएं युवावस्था में सामाजिक रूप से एक अजीब माहौल में जीने की आदी हो जाती है. एक आदर्श महिला के बारे में किसी और का नजरिया अलग होता है. शेफ शिप्रा खन्ना ने खुद पर विश्वास करने के महत्व को दोहराया, खासकर एक बार जब आप सफल होते हैं. उन्होंने बताया कि पुरुष-प्रधान फूड इंडस्ट्री को चलाना जब इतना मुश्किल होता है तो उस स्थिति में महिलाएं जब इस इंडस्ट्री में आगे बढ़ती है तो इस उद्योग में करियर हमेशा मुश्किल होता है क्योंकि महिलाओं को अक्सर घर में खाना बनाते हुए देखा जाता है जबकि वहीं अगर उद्योग की बात आ जाती है तो उस स्थिति में पुरुष की प्रोफेशनल कुक के तौर पर सामने आते हैं.
अनुरंजिता ने इस बात पर बल दिया कि प्यार, सम्मान और सुरक्षा एक महिला की सोच के साथ ही उनकी आउटपुट को भी बढ़ा सकता है.