जमशेदपुर।
आनंद मार्ग के विभिन्न यूनिटों में सुबह झंडा दिवस के रूप में मनाया गया गदरा आंनद मार्ग जागृति में
झंडा फहरा कर त्याग एवं पवित्रता का संकल्प लिया गया। आज के ही दिन आनंद मार्ग के प्रवर्तक गुरू श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने अपने कर कमलों द्वारा आनंद मार्ग जागृति गंधर्वपुर, पथरगामा, गोड्डा, झारखण्ड 9 अगस्त 1964 को 11 बचकर 5 मिनट दिन के समय में आनंद मार्ग का गेरुआ रंग का सफेद रंग से स्वास्तिक बना हुआ झंडा फहराए थे।
इसलिए इस ऐतिहासिक दिन को आनंद मार्गी विश्व झंडोत्तोलन दिवस के रूप में अपने अपने आनंद मार्ग के विभिन्न यूनिटों में झंडा फहरा कर त्याग एवं पवित्रता का संकल्प लेते हैं ।
आज आनंद मार्ग का झंडा पूरे विश्व के 180 से भी ज्यादा देशों में फहर रहा है आनंद मार्ग के सुनील आनंद ने कहा कि
आनंद मार्ग के गेरुआ रंग त्याग का प्रतीक है गेरुआ रंग | इसीलिये गेरुआ रङ्ग के झंडे की हम जय करते हैं | सब रङ्गों के झंडों की जय नहीं होती, , गेरुआ रङ्ग के झंडे की जय होती है अर्थात त्याग की जय होती है |
हमलोगों के झंडे के बीच में स्वस्तिक है | स्वस्तिक का रङ्ग क्या है ? स्वस्तिक का रङ्ग है सफेद | सफेद का अर्थ है पवित्रता | अर्थात त्याग द्वारा हम समाज में पवित्रता की प्रतिष्ठा करेंगे | तो जहाँ त्याग है और पवित्रता है वहाँ जय अवश्य होगी | चाहे या न चाहे, जय अवश्य होगी |