जमशेदपुर
श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर स्थानीय गदरा आनंद मार्ग जागृति में 3 घंटे का “बाबा नाम केवलम्” अखंड कीर्तन , 200 नारायण भोज , 50 लोगों के बीच वस्त्र वितरण, 20 किसानों के बीच 50 पौधे का वितरण एवं आई कैंप 20 लोगों के आंखों का जांच 6 मोतियाबिंद के रोगी चिन्हित जिनका ऑपरेशन 13 अगस्त को पूर्णिमा नेत्रालय में होगा
आनंद मार्ग रीजनल सेक्रेटरी आचार्य नवरुणानंद अवधूत ने कहा कि
आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने वर्ष 1939 में प्रथम दीक्षा श्रावणी पूर्णिमा कि रात्रि में काशी मित्रा घाट पर दुर्दांत डकैत कालीचरण चट्टोपाध्याय को दिया था जो बाद में कालिकानंदअवधूत के रूप में प्रचलित हुए।
इसी दिन एक नई सभ्यता की नींव रखी है। इसी दिन से विश्व को नई दिशा देने के लिए गुरुदेव श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने योग और तंत्र साधना मुक्ति आकांक्षा प्राप्त व्यक्ति को देने लगे । आज पूरे विश्व में लाखों लाख आनंदमार्गी आत्म मोक्ष और जगत हित के काम में लगे हैं। इस अवसर पर अनेक साधक साधिका अपने संकल्प को पुनः दोहराते हुए अपने जीवन रथ को आलोकमय करने में पूरी शक्ति के साथ लग जाते हैं
कहा कि आज से 83 वर्ष पूर्व वर्ष 1939 में प्रथम दीक्षा हुई थी और आज 2022में आनंद मार्ग समग्र दुनिया के 180 देशों में फैल गया है जहां साधक साधिका योग साधना का लाभ उठा रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि मनुष्य साधना ,सेवा और त्याग से महान बनता है ।मनुष्य के जीवन की सार्थकता इन्हीं तीन चीजों पर निर्भर करती है ।आगे उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि नैतिकता साधना की आधार भूमि है। साधना लक्ष्य प्राप्त करने का माध्यम है। दिव्य जीवन की प्राप्ति मनुष्य जीवन का लक्ष्य है। मनुष्य नीति को जितनी कठोरता से मान कर चलेंगे उनका जीवन उतना ही सहज हो जाएगा।