जमशेदपुर।
तख्त श्री हरिंमंदिर जी पटना साहिब के पंज सिंह साहिबानों ने रविवार को एक हुक्मनामा जारी करते हुए जत्थेदार ज्ञानी रंजीत सिंह गौहर-ए-मस्कीन को तनखहिया घोषित कर दिया है. इसके साथ ही डॉ गुरविंदर सिंह सामरा को भी दंडित करते हुए पंज सिंह साहिबानों ने हुक्म दिया है कि समय होने पर तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में श्री अखंड पाठ साहिब करवाएं एवं इस दौरान तीन दिनों तक एक एक घंटे जोड़ा (जूता) झाड़ें और बर्तन साफ करते हुए 11 सौ रुपए की देग करवाते हुए भूल चूक माफी की अरदास कराएं. तख्त साहिब से जारी हुक्मनामें में सिंह साहिबान भाई दिलीप सिंह, बलदेव सिंह, गुरदयाल सिंह, परशुराम सिंह एवं एक अन्य भाई साहिब के हस्ताक्षर हैं. यह पत्र सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है.
जत्थेदार रंजीत सिंह पर यह बना कार्रवाई का कारण पंज सिंह साहिबानों की एकत्रता में डॉ गुरुविन्दर सिंह सामरा एवं ज्ञानी रंजीत सिंह के चल रहे मामले में विचार करने के बाद यह फैसला लिया गया हैं कि ज्ञानी रंजीत सिंह ने गुरु साहब की मार्यादा को भूलाते हुए दसवंद (दान) के रुपए का दुरुपयोग किया एंव डॉ सामरा को फर्जी और बिना पांच सिंह साहिबान के विचार किए हुक्मनामा एवं अनिन्न सेवक का सम्मान दिया जाना मंदभागा है. उपरोक्त हुक्मनामा में लिखित श्री साहिब जिसे इन्होंने सवा सेर सोने की कृपाण बताया है. वहीं, तख्त साहब को बताया था कि उक्त श्री साहब की तीन बार जांच करने के बाद भी सोना सिर्फ नाम मात्र का ही पाया गया. इससे गुरु साहब के द्वारा चलाई गई हुक्मनामे की पावनता और पवित्रता शानो-शौकत रवाएत को ठेस पहुंची है, जिससे सारी दुनिया में तख्त सिंह साहब के सत्कार पद एवं प्रबंध उपर भारी सवाल उठे हैं. यहीं बस नहीं हुआ ज्ञानी रंजीत सिंह ने तख्त साहब के कार्यालय में कमेटी के कुछ औहदेदारों पर दबाब बनाके पांच सिह साहिबान को बाहर भेजने की नाकाम कोशिश की एवं इस मामले को प्रभावित करने एवं मौजूदा समय में इनके द्वारा सेवा दौरान की गई गलतियों के पत्र भी प्राप्त होते रहे हैं. इस मामले में 8 घंटे विचार करने के बाद एवं शिकायतकर्ता से विचार करते हुए ज्ञानी रंजीत सिंह को दोषी पाया गया है.