जमशेदपुर।
दुर्गापूजा के बाद लोग दीपावली की तैयारी में जुट गए है। दीपावली में दिए का विशेष महत्त्व है। बाजार में रंग बिरेंगे दीये आ चुके हैं। लेकिन जमशेदपुर के सोनारी स्थित जीविका फाउंडेशन की ओर से सोनारी वेस्ट ले आउट में विशेष बच्चों के हाथों बनाये गए मिट्टी के खूबसूरत दिए की प्रदर्शनी का लगाया गया है।
इस दौरान मुख्यातिथि के रूप में भाजपा झारखंड के प्रदेश प्रवक्ता सह पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी, विशिष्ट अतिथि के रूप में ब्रह्माकुमारी के कोल्हान प्रभारी संजू बहन, प्रख्यात चार्टर्ड एकाउंटेंट राजेश कुमार अग्रवाल, वॉइस ऑफ ह्यूमानिटी के संस्थापक हरि सिंह राजपूत एवं समाजसेवी चंचल भाटिया मौजूद थे। इस दौरान जीविका फाउंडेशन के संस्थापक अवतार सिंह तथा सुकदीप सिंह ने सभी अतिथियों को अंगवस्त्र व पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया। अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर तथा फीता काटकर प्रदर्शनी का विधिवत उद्घाटन किया।
इस अवसर पर मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि इन स्पेशल बच्चों ने अपने हुनर और प्रतिभा से यह साबित कर दिया कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। दीये और उससे सबंधित वस्तुओं को रंग-रोगन कर एक नए रूप में प्रस्तुत कर इन बच्चों ने आर्थिक रूप से मजबूती के साथ-साथ खुद के स्वावलंबन की दिशा में समाज के लिए उदाहरण पेश किया है। इससे यह साबित होता है कि इक्षाशक्ति और लगन से इंसान कुछ भी कर सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे समाज को मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को अपनाना चाहिए तथा समाज के साथ इनको भी कदम से कदम मिलाकर चलने में सहायता करना चाहिए ताकि यह बच्चे भी लोगों के साथ घुल-मिलकर समाज को आगे बढ़ाकर समाज में अपनी पहचान बनाएं। कुणाल षाड़ंगी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि दीपावली में स्वदेशी उत्पाद को अपनाएं और सदियों पुरानी हमारी परंपरा को अपनाते हुए इन बच्चों द्वारा मिट्टी से बनाए गए खूबसूरत दीयों व स्थानीय दीयों से अपने घरों को रौशन करें। जिससे इन विशेष बच्चों व इससे जुड़े लोगों के जीवन भी रौशनी से भर जाए।
आत्मनिर्भर बनने का दिया जाता है प्रशिक्षण:
जीविका फाउंडेशन विगत 11 वर्षों से मानसिक रूप से अस्वस्थ बच्चों को खेलकूद के माध्यम से उनकी बौद्धिक व शारिरिक क्षमता का विकास कर रहा है। शारीरिक प्रशिक्षण के बाद बच्चों को इको फ्रेंडली कामों में जोड़ा जाता है। यहाँ बच्चों को अलग-अलग प्रकार के अनेकों कार्य सिखाए जाते हैं। इसके लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण दी जाती है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। दीपावली में दीये के अतिरिक्त पेपर बैग, कपड़े के बैग, नैपकिन, बैग आदि ऐसी कई चीजें हैं जो यहां के बच्चों द्वारा बनाया जाता है।
इस मौके पर फाउंडेशन के सदस्यों के संग काफी संख्या में अन्य युवा उपस्थित थे।