जमशेदपुर।
जमशेदपुर की सिख राजनीति में शनिवार को नया मोड़ आया है. इसके बाद राजनीति के किंग कहे जाने वाले झारखंड गुरुद्वारा के प्रधान सरदार शैलेंद्र सिंह को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, तख्त श्री हरिमंदिर साहिब के पांच सिंह साहिबान ने एक पत्र जारी करते हुए पूर्व जत्थेदार रंजीत सिंह गौहर ए मस्कीन द्वारा सीजीपीसी संचालन के लिए बनाई गई पांच सदस्यीय संचालन समिति को भंग कर दिया गया है. इस बाबत पांच सिंह साहिबानों की एकत्रता में फैसला लिया गया है. निर्णय लेने वालों में सीनियर ग्रंथी दिलीप सिंह, भाई बलदेव सिंह, भाई गुरदयाल सिंह, ज्ञानी सुखदेव सिंह और भाई परशुराम सिंह शामिल हैं. पांचों सिंह साहिबान के हस्ताक्षर युक्त पत्र में कहा गया है कि जमशेदपुर के गुरमुख सिंह मुखे की ओर से बार बार अपील की जा रही थी, जिस पर विचार एवं कार्रवाई 20 अक्टूबर को लिया जाएगा. इसके साथ ही मामले के दूसरे पक्ष के मुख्य गुरचरण सिंह बिल्ला को भी पक्ष रखने का मौका देते हुए 20 अक्टूबर को उन्हें भी पटना बुलाया गया है. पत्र में विशेष तौर पर कहा गया है कि तब तक के लिए शैलेंद्र सिंह, भगवान सिंह, हरविंदर सिंह, सुरजीत सिंह एवं सतिंदर सिंह की अगुवाई वाली पांच मेंबरी कमेटी भंग की जाती है. मालूम हो कि झारखंड सिख प्रतिनिधि बोर्ड के प्रधान गुरचरण सिंह बिल्ला पर हत्या की नियत से फायरिंग की गई थी. घटना के बाद बिल्ला ने तख्त साहिब को मुखे के खिलाफ शिकायत की थी. वह मामला तख्त साहिब में लंबित था. इसी दरमियान जेल से आने पर मुखे ने भी तख्त साहिब को पत्र लिखते हुए कहा कि उनका कानूनी मामला बनता है, धार्मिक उल्लंघन का कोई मामला नहीं है. मुखे के इसी पत्र पर तख्त साहिब की ओर से फैसला लिया गया है.
सीजीपीसी की आमसभा से पूर्व तख्त साहिब का फैसला आने से मुखे समर्थक गदगद
इधर, रविवार को श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश दिहाड़े को लेकर सीजीपीसी की आमसभा बुलाई गई थी. मुखे के बैठक बुलाने को लेकर दूसरे गुट ने विरोध शुरु कर दिया था. आमसभा का बहिष्कार करने की घोषणा तक की गई थी. ऐसे में आमसभा के पूर्व तख्त साहिब से इस तरह का फरमान आना कि सीजीपीसी संचालन कमेटी को भंग किया जाता है. इस फैसले से मुखे समर्थक खुद को गदगद महसूस कर रहे हैं.
बिल्ला को भी झटका, सीजीपीसी में बन रहे नए समीकरण
इधर, तख्त पटना साहिब से आए आदेश के बाद गुरचरण सिंह बिल्ला को भी झटका लगा है. क्योंकि इस वक्त तख्त पटना कमेटी में इंदरजीत सिंह महासचिव की भूमिका में है. ऐसे में मुखे के पक्ष में फैसला आना कहीं न कहीं यह नए संकेत दे रहा है कि आगामी सीजीपीसी प्रधान पद के लिए होने वाले चुनाव को लेकर नई समीकरण बैठने शुरु हो रहे हैं, जिसकी शुरुआत सीजीपीसी संचालन समिति के भंग होने से हुई है. बहरहाल, उधर, रविवार को होने वाली सीजीपीसी की आमसभा भी कई मायनों में आगामी चुनाव को लेकर मुख्य होगी, जिसमें मुखे की ताकत दिखेगी.