जमशेदपुरः
सिखों के पहले गुरु श्री गुरु नानक देव जी के आगमन दिवस पर आगामी 8 नवंबर को इस साल जुगसलाई गौरीशंक रोड गुरुद्वारा से नगर कीर्तन निकाला जाएगा. जुगसलाई को यह अवसर खासकर इसलिए भी दिया गया क्योंकि जुगसलाई गौरीशंकर गुरुद्वारा 100 साल पूर्ण कर 101 में प्रवेश कर गया है. इसे लेकर जुगसलाई की सिख संगत में खासा उत्साह है. गुरुद्वारा का बड़े ही सुंदर ढंग से जीर्णोद्धार भी किया गया है, जो कि संगत को पिछले दिनों सुपुर्द किया गया है. इसलिए यह तय हुआ कि नगर कीर्तन जुगसलाई से निकाला जाएगा. यह फैसला बुधवार को साकची स्थित सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कार्यालय में आयोजित पांच सदस्यीय कमेटी की बैठक में लिया गया. पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत शाम चार बजे सभी गुरुद्वारा के प्रधान महासचिवों की मौजूदगी में नगर कीर्तन निकालने के विचार को लेकर बैठक आहूत की गई थी, जो कि बहुत ही सुंदर माहौल में संपन्न हुई. यह तय किया गया कि आगे भी नगर कीर्तन निकाले जाने तक शांतिपूर्ण वातावरण में आपसी सहमति से ही सभी कार्यक्रम सफल किए जाएंगे.
चार गुरुद्वारों से आए थे आवेदन, अंततः बनी सर्वसम्मति
नगर कीर्तन निकाले जाने को लेकर गौरीशंकर रोड, जेम्को व सोनारी से पूर्व में ही आवेदन आए थे. इधर, पांच सदस्यीय कमेटी के पावर में आने के बाद बिष्टुपुर रामदास भट्ठा गुरुद्वारा कमेटी ने भी नगर कीर्तन निकाले जाने को लेकर आवेदन दिया. बैठक की शुरुआत में पांच सदस्यीय कमेटी के अमरजीत सिंह ने ही अरदास कर बैठक की शुरआत की. उसके बाद सभी चारों गुरुद्वारा के प्रतिनिधियों को सर्वसम्मति बनाने का मौका दिया गया. सोनारी ने गौरीशकंर के पक्ष में अपना नाम वापस ले लिया, जबकि रामदास भट्ठा और जेम्को कमेटी नहीं मानी. अंततः लॉटरी निकाली गई. लॉटरी में जेम्को गुरुद्वारा का नाम आया, लेकिन बाद में जेम्को के प्रधान जेएस जग्गा ने भी गौरीशंकर गुरुद्वारा पर ही अपनी सहमति प्रदान कर दी.
11 नवंबर को साकची गुरुद्वारा में सजेगा सेंट्रल दीवान
बैठक के दौरान सर्वसम्मति से यह भी पास किया गया कि पालकी साहिब की सेवा हर बार की तरह धर्म प्रकार कमेटी अकाली दल निभाएगी. वहीं नगर कीर्तन कंट्रोलिंग की सेवा सेंट्रल सिख नौजवान सभा को दी गई. यह भी तय हुआ कि पालकी साहिब के आगे इस बार गुरुद्वारा के प्रतिनिधि एक साथ नहीं चलेंगे. उन्हें पालकी साहिब के पीछे कर दिया गया है. इस पर सभी गुरुद्वारों ने अपनी सहमति दी. नगर कीर्तन के बाद परंपरा के अनुसार 11 नवंबर को सेंट्रल दीवान साकची गुरुद्वारा में सजाये जाने पर सहमति बनी, जिसमें नगर कीर्तन में अनुशासन में चलने पर स्कूल व सिख स्त्री सत्संग सभा के जत्थों को पुरुस्कृत किया जाएगा. सेंट्रल दीवान में संगत के बीच गुरु का अटूट लंगर भी वितरित किया जाएगा.