जमशेदपुर। साकची श्री अग्रसेन भवन में चल रहे श्रीराम हनुमत कथा के चौथे दिन बुधवार की सुबह 9 से 1 बजे तक को व्यासपीठ से कथा वाचक परम श्रद्धेय श्रीराम मोहन महाराज ने भगवान की बाल लीला, नाम करण, तड़का वध, धनुष य़ज्ञ, भगवान की विवाह, फुलवरी प्रसंग सुनाया। भगवान की विवाह की कथा का श्रवण कर श्रद्धालु झूम उठे। उन्होंने कहा कि भाई-भाई में राम और भरत जैसा प्रेम हो तो कथा और पूजा की सार्थकता हैं। राम के लिए भरत ने और भरत के लिए राम ने राज्य का मोह त्याग दिया। दोनों ने भातृ प्रेम को महत्व दिया और चौदह वर्ष का वनवास भोगा। राम ने घर छोड़कर वन की राह ली और भरत ने अयोध्या में रहते हुए वनवासी का जीवन व्यतीत किया। संसार मानव जीवन में मुसाफिर हैं, मंजिल नहीं। मंजिल तो आत्म स्वरूप का बोध करना हैं। महाराज जी आगे कहा कि मनुष्य को कभी दौलत और अपनी ताकत पर घमंड नहीं करना चाहिए। रावण को अपनी ताकत पर बहुत घमंड था लेकिन घमंड तो रावण का भी नहीं टिका तो आम मनुष्य तो क्या चीज है। भगवान राम ने रावण का अंत का उसका घमंड और आंतक चूर-चूर कर दिया। श्री नरसिंह बांध बालाजी धाम, टाटानगर शाखा द्धारा परमश्रद्धेय संतोष भाई (बर्नपुर) के सानिध्य में नौवें दिन बुधवार को बालाजी की पूजन के बाद आरती, हनुमान चालीसा पाठ और श्रीराम हनुमतं कथा में काफी भक्तगण शामिल हुए। बुधवार को पाठ का विश्रााम होने तक 1 लाख 70 हजार पाठ संपन्न हुआ। केवल बुधवार को 15 हजार पाठ हुए। इस मौके पर प्रमुख रूप से सुरेश सोंथालिया, ओमप्रकाश रिंगसिया, अरूण बांकरेवाल, कृष्णा अग्रवाल, अशोक चौधरी, बालमुंकद गोयल, महेश सोंथालिया, बीएन शर्मा, मनोज चेतानी, भरत वसानी, विष्णु अग्रवाल, आनन्द चौधरी, राहुल चौधरी, सांवरमल शर्मा आदि मौजूद थे। सुन्दरकांड पाठ आजः-10 नवम्बर गुरूवार की शाम चार बजे से कथा वाचिका रेखा पारिख द्धारा संगीतमय सामुहिक सुन्दरकांड का पाठ किया जायेगा।