जमशेदपुर।
साहित्य अकादमी संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं मिथिला सांस्कृतिक परिषद जमशेदपुर के संयुक्त तत्वाधान में 20 और 21 नवंबर 2022 को मैथिली साहित्य में लोक गाथा और लोकगीत के महत्व पर विचार विमर्श होगा। यह स्पष्ट कर देना उचित है कि लोक गाथा के दृष्टि से मैथिली भाषा काफी समृद्ध है और 134 लोकगाथा का प्रचलन मित्र मैथिली साहित्य में मिथिला के विविध क्षेत्रों के अंतर्गत पाया जाता है। साहित्य कोई भी हो लोकगीत ही शिष्ट साहित्य के निर्माण का आधार बनते हैं। शिष्ट साहित्य के निर्माण में लोक साहित्य की भूमिका मूलतः लोकगीत से प्रारंभ होती है और आज भी वह लोकप्रिय विधा बना हुआ है मैथिली साहित्य में इसके अवधान से संबंधित इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में साहित्य अकादमी के उपसचिव डॉ सुरेश बाबू साहित्य अकादमी के पूर्वी क्षेत्र परिषद एवं मैथिली परामर्श दात्री समिति के संयोजक डॉ अशोक अविचल समेत पटना से डॉक्टर अमित कुमार ठाकुर दरभंगा और मधुबनी से डॉ महेन्द्र नारायण राम ,प्रो बूचरू पासवान , श्री नारायण झा ,महाराष्ट्र से डॉ ओम् प्रकाश भारती ,, दिल्ली और कोलकाता से अशोक झा हज़ारीबाग से डॉ हितनाथ झा , राँची से डॉ विद्या नाथ झा विदित , मनीष अरविंद , सियाराम झा सरस ,घाटशिला डॉ मित्रेस्वर अग्निपुत्र , जमशेदपुर के डॉ शान्ति सुमन ,डॉ रवींद्र कुमार चौधरी , शिव कुमार झा टिल्लु , भागलपुर से प्रो शिव प्रसाद यादव , चंपारन डॉ चेतना बेगुसराय मिस रुपम झा ,सुपौल सहरसा आदि स्थानों से 22 साहित्यकार भाग लेंगे एवं अपना शोध आलेख प्रस्तुत करेंगे जिसे अकादमी पुस्तक आकार प्रकाशित भी करेगी। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अरुण कुमार मिश्रा एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में जय चंद्र झा उपस्थित रहेंगे। मिथिला सांस्कृतिक परिषद जमशेदपुर साहित्य अकादमी द्वारा मान्यता प्राप्त झारखंड की एकलौती संस्था है जो मैथिली साहित्य एवं संस्कृति के विकास के लिए निरंतर क्रियाशील रहती है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित महानुभाव गण साहित्य अकादमी के पूर्वी क्षेत्र परिषद के संयोजक डॉ अशोक अविचल , मिथिला सांस्कृतिक परिषद , जमशेदपुर के अध्यक्ष शिशिर कुमार झा , महासचिव सुजीत कुमार झा शामिल थे