चाईबासा।
चक्रधरपुर रेल मंडल में मालगाड़ियों के परिचालन के लिए नयी रेल लाइन बिछाने का सर्वे तेज गति से चल रहा है.
मनोहरपुर से कोलपोटका समेत अन्य गांवों से होकर नयी रेल लाइन बिछाने के लिए सर्वे चल रहा है। फिलहाल सर्वे और
मिट्टी जांच का कार्य उरकिया, रेंगालबेड़ा आदि गांवों में चल रहा है। इसके लिए मशीनों तथा अन्य उपकरणों का सहारा
लिया जा रहा है। इसके तहत जमीन के 40 फीट अंदर तक ड्रिलिंग किया जा रहा है। हालांकि इसे लेकर अभी न तो
रेलवे विभाग के अधिकारी कुछ बोलने की स्थिति में हैं और ना ही सर्वे टीम के अधिकारी खुलकर कुछ बोलना चाह रहे
हैं। परंतु इस बात की भनक ग्रामीणों को भी अब धीरे – धीरे होने लगी है और वे नयी रेल लाइन बिछाए जाने के इस खबर
से खासे उत्साहित भी हैं।
जानकारी के मुताबिक सर्वे का कार्य हैदराबाद की कंपनी आर बी एसोशिएट्स कर रही है। यह रेलवे के पैकेज – 10 का
कार्य है। जिसके तहत टाटानगर से राउरकेला तक नई रेल पटरी बिछाई जाएगी। सर्वे का कार्य तीन सालों तक चलेगा।
सर्वे विगत कई महीनों से गोइलेकरा की ओर से होता आ रहा है। वहीं सर्वे का कार्य प्रत्येक आधा किलोमीटर की दूरी के
अंतराल पर किया जा रहा है। इसके तहत मिट्टी का सर्वे, जमीन का सर्वे और भूमि अधिग्रहण का सर्वे होगा। सर्वे के बाद
यही कंपनी डीपीआर भी तैयार करेगी। सूत्र बताते हैं कि सर्वे का काम मनोहरपुर प्रखंड के कोलपोटका गांव तक
चलेगा। यहां से इसे ओडिशा राज्य को जोड़ा जाएगा। वहीं पटरी बिछाने के लिए डीएफसीसीआईएल अपना काम
करेगी। इसके लिए डीएफसीसीआईएल ने ओडिशा के भुवनेश्वर में अपना कार्यालय खोल रखा है। इस प्रस्तावित रूट के
तैयार होने के बाद इस रूट से सिर्फ मालगाड़ियों का ही परिचालन किया जाएगा।
आजादी के बाद माल ढुलाई के लिए देश के अंदर सबसे बड़ी रेलवे लाइन बिछाई जा रही है। जिसको डेडीकेटेड फ्रेट
कॉरिडोर नाम दिया गया है।
वर्तमान में दो कॉरिडोर बन रहे हैं। पहला है ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और दूसरा है वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट
कॉरिडोर।
चक्रधरपुर रेल मंडल से होकर गुजरने वाली ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का हिस्सा है।
वहीं तीन राज्यों में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनाया जाने पर काम किया जा रहा है।
ये राज्य झारखंड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ हैं। इन राज्यों से कोयले की ढुलाई सबसे अधिक होती है।
तीनों कॉरिडोर को बंदरगाहों से जोड़ा जाएग। जिससे वहां तक की कनेक्टिविटी बेहतर हो सकेगी।
दो राज्यों में डीपीआर पर काम शुरू हो चुका है और तीसरे पर जल्द शुरू कर दिया जाएगा। इन तीनों राज्यों में
कॉरिडोर बनने के बाद मालगाड़ियां को इन पर शिफ्ट कर दिया जाएगा।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर एक उच्च क्षमता और उच्च गति वाली रेल रोड लाइन है।
भारत सरकार के रेल मंत्रालय के अधीनस्थ डीएफसीसीआईएल एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
इसके पास डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए वित्तीय संसाधनो की योजना, विकास, संचालन, निर्माण, रखरखाव की
जिम्मेवारी है।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का उपयोग केवल माल, या माल और वस्तुओं को स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है।
इसके तहत देश के चार महानगर दिल्ली – चेन्नई और मुंबई – हावड़ा को जोड़ा जा रहा है।
यह एक नया रेलमार्ग होगा जो सिर्फ मालगाड़ियों के परिचालन के लिए ही होगा।
इस पर सिर्फ मालगाड़ियां चलेंगी। इसी के तहत ईस्टर्न कॉरिडोर करीब 1839 किमी लंबा है। जिसमें टाटानगर –
राउरकेला रेल रुट शामिल है।
इस प्रोजेक्ट से बंदरगाहों, निर्यातकों, आयातकों, शिपिंग लाइन, कंटेनर ऑपरेटर आदि को काफी फायदा होगा। यह
कॉरिडोर देश की अर्थव्यवस्था को और तेज गति देगा। यह एक हाईस्पीड कॉरिडोर है। जिसमें मालगाड़ियों की औसत
रफ्तार 75 किमी प्रति घंटा से बढ़कर 100 किमी प्रति घंटा तक हो जाएगी। मालगाड़ियां भी अपने गंतव्य तक जल्दी
पहुंच सकेंगी। दूसरी तरफ अभी जो मौजूदा रेल पटरियां हैं वो सिर्फ यात्री ट्रेनों के लिए खाली हो जाएगा। इससे यात्री ट्रेनों
की रफ्तार भी बढ़ेगी, ट्रेफिक कम होने पर नयी ट्रेनों के परिचालन की सम्भावना भी बढ़ेगी और यात्रियों को भी फायदा
होगा। दूसरी ओर एक अनुमान के मुताबिक इससे प्रभावित क्षेत्र के लोगों को भी बड़ा फायदा हो सकता है। रेल लाइन
बिछाने के दौरान आसपास के लोगों को रोजगार तो मिलेगा ही। साथ ही भूमि अधिग्रहण के दौरान रैयतों को उनकी
जमीन के एवज में बड़ी रकम मिलेगी।