जमशेदपुर।
रंगरेटा महासभा के बैनर तले एग्रिको स्थित ट्रांसपोर्ट मैदान में बाबा जीवन सिंह और चमकौर की शहादत को समर्पित दो दिवसीय महान कीर्तन दरबार का रविवार शाम के चौथे दीवान बाद देर रात समापन हो गया. 17 व 18 दिसंबर को दो दिन सजे चार दीवानों में संगत ने हुमहुमा के गुरु दरबार में हजरियां भरी. पंजाब के ब्यास से पहुंचे कीर्तनीये ज्ञानी बूटा सिंह तरसीका, अमृतसर से कथावाचक ज्ञानी जोड़ सिंह व ज्ञानी निरवैल सिंह और पंजाब से ही कविशर जत्था जसबीर सिंह मत्तेवाल ने संगत को दोनों दिन गुरु जस श्रवण कराया एवं गुरवाणी के गोते लगवाए. बाबा जीवन सिंह के इतिहास और चमकौर की जंग का साका कथा के माध्यम से संगत के बीच प्रस्तुत किया, जिसे सुनकर संगत निहाल हुई. साहेबजादों की शहीदी दास्तां सुनकर संगत भावुक हो उठी.
विद्वानों ने संगत को खासकर युवाओं को एक और एक गुरु घर से जुड़ने के लिए प्रेरित भी किया. दोनों दिन करीब 30 हजार संगत ने गुरु का अटूट लंगर ग्रहण किया. महासभा का यह तीसरा समागम था. श्री अकाल तख्त से जारी फरमान के अनुसार समागम में किसी भी गणमान्य को सम्मानित नहीं किया गया, जिसकी संगत ने खूब सराहना की. जबकि दोनों दिन कई प्रमुख लोगों ने गुरु के दरबार में शीश निवाया. महासभा के संयोजक रिंकू सिंह ने कार्यक्रम की सफलता का श्रेय समूह संगत, सभी गुरुद्वारा कमेटियों और प्रमुख संस्थाओं को दिया है. रिंकू ने कहा कि बाबा जीवन सिंह के इतिहास को संगत के बीच आगे भी रखा जायेगा, ताकि युवा इतिहास के बारे जान सके. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक सप्ताह के अंदर महासभा के नए प्रधान की घोषणा करेंगे. कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से महासभा की महिला इकाई की बीबी बलजीत कौर, मलकीत कौर, जसवीर कौर, संयोजक हरजिन्दर सिंह रिंकू, करमजीत सिंह कम्मे, जसपाल सिंह उर्फ गोल्डी, कुलदीप सिंह बुग्गे, तरसेम सिंह, शिव सिंह बगान गुरुद्वारा के ग्रंथी बाबा सुरेंद्र सिंह, बलजिदंर सिंह, स्वर्ण सिंह, हैप्पी सिंह, मान सिंह खंडे, आदि ने मुख्य भूमिका निभाई.