जमशेदपुर।
विश्व का सबसे बड़ा नॉन कार्बन रिडकटेंट हाईड्रोजन आधारित रिएक्टर भारत के अंगुल में है। जिसे जिंदल स्टील एण्ड पॉवर लिमिटेड ने स्थापित किया है। उक्त बातें एनआईटी जमशदेपुर के मेटलर्जिकर्जिल एंड मटैेरियल्स इंजीनियरिगं विभाग द्वारा जिंदल स्टील एण्ड पॉवर लिमिटेड तथा रुंगटा स्टील प्राईवेट लिमिटेड के आर्थिक सहयोग से 20 दिसंबर से 24 दिसंबर 2022 तक चलने वाले “उन्नत सामग्री प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी” विषय पर द्वितीय पांच दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बिमलेंद्र झा, जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के एमडी ने कहा। उन्होंने आगे कहा कि लोहा उत्पादन करने वाला पहला देश भारत रहा है। यहाँ बनने वाली तलवारें विश्व प्रसिद्ध रही हैं। आज भी हम टेक्नॉलजी को आगे ले जाने में सक्षम हैं। आज कार्बन डॉय ऑक्साइड को पर्यावरण प्रदुषण का एक मुख्य कारक माना जाता है, और यह प्रयास किया जा रहा है कि उद्योग जगत कम से कम कार्बन उत्सर्जन करे। परन्तु सीमेंट किसी भी तरीके से बनाएं कैल्सियम कार्बोनेट से बनने के कारण कॉर्बन डॉय ऑक्साइड बनेगा ही। अत: एक सर्कुलर उत्पादन पद्धति ही जीरो वेस्ट टेक्नॉलजी की ओर बढ़ने का एक उपाय है। लौह उद्योग का वेस्ट सीमेंट उद्योग का संसाधन होगा, पॉवर इंडस्ट्री का वेस्ट ब्रिक इंडस्ट्री का संसाधन हो सकता है। इस प्रकार कई उद्योगों का समुह एक साथ कनेक्ट होकर सर्कुलर उत्पादन पद्धति का निर्माण कर सकता है जिससे भारत के साथ-साथ पुरे विश्व का उत्थान होगा। और हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
विशेष अथिति के रूप में डॉक्टर अरविंद सिन्हा शामिल थे, उन्होंने आविष्कार और नवाचार के बीच का अंतर समझाया और कहा कि हमे अंतःशास्त्रीय होने की जरूरत है। निदेशक प्रोफेसर करुणेश कुमार शुक्ला, डॉ. रंजीत प्रसाद, अध्यक्ष, AMPTIC और डॉ. रीना साहू, संयोजक, AMPTIC ने भी प्रतिभागियों के साथ अपनें अनुभव साझा किए।
इससे पुर्व इस कार्यशाला में डॉक्टर गिरिजेश कुमार, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, बीआईटी सिंदरी, डॉ. विद्याधर अरी, वरिष्ठ वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनएमएल, और डॉ. विनोद कुमार, मुख्य तकनीकी अधिकारी, सीएसआईआर-एनएमएल, डॉ बच्चा राम झा, विभागाध्यक्ष, भूविज्ञान विभाग, राँची विश्वविद्यालय।
उत्तम सिंह, उपाध्यक्ष, टाटा स्टील, बिपिन गीरी, मुख्य महाप्रबंधक, सेल, अरुण कुमार स्वर्णकार, महाप्रबंधक, महानदी कॉल फिल्ड का भी मार्गदर्शन प्रतिभागियों को मिल चुका है।
प्रतिभागियों को औद्योगिक यात्रा के लिए सीएसआईआर-एनएमएल, जमशेदपुर और नरवा खान तथा तुरामडीह मिल, यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड का भी दौरा करने का मौका मिला।
कार्यशाला में एसआर रूंगटा समूह, सीएसआईआर-एनएमएल, कोल्हान विश्वविद्यालय, रांची विश्वविद्यालय, वीएसके विश्वविद्यालय, कर्नाटक, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, कलिंग औद्योगिक प्रौद्योगिकी संस्थान, भुवनेश्वर जैसे संस्थानों एवं उद्योगों से 52 प्रतिभागियों नें भाग लिया। सत्र का समापन कार्यशाला की संयोजिका डॉ रीना साहू के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।