रांची।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दिशा निर्देश एवं उनकी भावनाओं के अनुरूप राज्य की जनता के हित में कृषि के क्षेत्र में हमने पूरी संवेदनशीलता के साथ काम किया है। हम भी कोरोना महामारी के दौरान चुनौतियों से गुजरे हैं और उसके बाद सुखाड़ की त्रासदी को भी झेला है और अब कोविड के लौटने की आहट फिर से सुनाई दे रही है, इसके बाद भी जो वादा अन्नदाता के साथ हमने किया है उसे पूरा करने का लक्ष्य है। हमने किसानों की आहों को सम्मान देने का काम किया है। उक्त बातें राज्य के कृषि पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री श्री बादल ने हेसाग स्थित पशुपालन भवन में राज्यस्तरीय रबी कर्मशाला 2022 में रांची प्रमंडल के सभी पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहीं।
कृषि मंत्री बादल ने कहा कि विषम परिस्थिति में हमने कई फैसले लिए और माननीय मुख्यमंत्री ने भावनाओं का ख्याल रखा। साथ ही विभागीय समन्वय बनाने के लगातार प्रयास किए जाते रहे,जिससे कृषि क्षेत्र में कई सकारात्मक नतीजे सामने आएं। उन्होंने कहा कि हर साल कृषि विभाग पर राज्य की जनता नजर रखती है इसलिए हमने पूरी गंभीरता के साथ किसान हित में निर्णय लिए हैं। स्मार्ट विलेज की कल्पना को साकार करने के लिए संबंधित सभी विभाग के साथ को-आर्डिनेशन बनाने की जरूरत है। उन्होंने पदाधिकारियों से कहा कि किसान मित्र से सहयोग लेकर उन किसानों को सहयोग करें, जो प्रज्ञा केंद्र नहीं पहुंच पा रहे हैं और उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने वंचित किसानों को योजनाओं से जोड़ने की बात कहीं और कहा कि ऐसे किसानों की सूची तैयार करें, ताकि योजनाओं का लाभ उन तक पहुंच सके। सरकार के 3 साल में हम राज्य के 30 लाख किसान परिवार तक पहुंच रहे हैं, यह हमारी एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन हमारा लक्ष्य राज्य के 5800000 किसानों तक पहुंचना है और राज्य की जीडीपी में 20% तक राज्य के किसानों का योगदान सुनिश्चित करना है।
बादल ने कहा कि सहकारिता के तहत पांच लाख से ज्यादा नए सदस्य जुड़े हैं, सहकारिता में जो नए सदस्य बने हैं, वह कितने सक्रिय हैं, इसकी भी मॉनिटरिंग की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि 461 करोड़ रुपए मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना के तहत सभी जिलों को आवंटित कर दिए गए हैं। विभाग किसान को अपना विजिटिंग कार्ड देने जा रहा है, ताकि उसे यकीन दिलाया जा सके कि राज्य सरकार उसके साथ है।
श्री बादल ने 129 नए पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि उनसे राज्य सरकार को काफी उम्मीदें हैं और वरीय पदाधिकारी अपना अनुभव साझा करें, ताकि वह कृषि के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकें। उन्होंने कहा कि विभाग में कमिटमेंट ऊपर से लेकर नीचे तक दिखाई देनी चाहिए, ताकि हम बिरसा किसान के सपनों को पूरा करने में अपनी भूमिका ईमानदारी पूर्वक निभा सकें। उन्होंने कहा कि अमेरिका के अखबार द वाल जर्नल में अगर झारखंड की खबरें प्रकाशित होती हैं, तो इसके पीछे विभाग का सामूहिक प्रयास ही है।
जिला एवं प्रखंड स्तर पर करें कृषि कार्यशाला का आयोजन: कृषि सचिव
राज्यस्तरीय रबी कर्मशाला को संबोधित करते हुए कृषि विभाग के सचिव श्री अबू बकर सिद्दीकी ने कहा कि कृषि सेक्टर को कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता है, क्योंकि देश की जीडीपी में 20 प्रतिशत योगदान कृषि का है। विभाग का लक्ष्य है खाद्य आजीविका और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर राज्य के किसानों को स्वावलंबी बनाना। उन्होंने बताया कि किसानों की कर्ज माफी सफलतापूर्वक की गई है। साथ ही बीज वितरण में पूरी तरह से पारदर्शिता बढ़ती जा रही है और मुख्यमंत्री पशुधन योजना स्मार्ट विलेज और कृषक पाठशाला जैसी योजनाओं को किसानों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने पदाधिकारियों को कहा कि किसानों को सहयोग दें और हर किसान लाखों रुपए कमाने में सक्षम हो।किसानों को तकनीकी मदद देने के लिए जिला और प्रखंड स्तर पर कार्यशाला का आयोजन करें।
कृषि सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत तकनीकी मदद का काम किया जा रहा है, ताकि किसानों को सिंचाई की सुविधा सुनिश्चित कराई जा सके। उन्होंने यह भी कहा की सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है और हर क्षेत्र में हर खेत तक सिंचाई पहुंचाने का लक्ष्य विभाग का है। इसलिए कृषि क्षेत्र से जुड़े या कृषि क्षेत्र को बूस्टअप करने के लिए किसी भी पदाधिकारी या नवनियुक्त पदाधिकारियों के पास कोई सुझाव हैं, तो वह दे सकते हैं, क्योंकिबदलाव लाने की जरूरत है, ताकि किसान को आत्मनिर्भर बनाया जा सके। इस पर अध्ययन कर संभावना को तलाशने की जरूरत है। अगर आपके पास कोई उत्कृष्ट सुझाव है, तो उसके लिए बजट में भी प्रावधान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हल्दी, काली मिर्च और लहसुन के उत्पादन की संभावनाएं झारखंड में है।
ब्लॉकचेन के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ हो रहा बीज वितरण: निशा उरांव
कृषि निदेशक निशा उरांव ने कहा कि इस बार चुनौती काफी यूनिक थी। 226 प्रखंड सुखाड़ की चपेट में थे, जिन्हें सुखाड़ क्षेत्र घोषित किया गया। इसके लिए केंद्र सरकार से हमने 9000 करोड़ रुपए की मांग की है। इस बार हमने प्रत्येक प्रखंड के 10 गांव का स्थल निरीक्षण किया, साथ ही 5 गांव की जियो टैगिंग भी सुनिश्चित की गई। उसके बाद इन क्षेत्रों को सुखाड़ घोषित करने की अनुशंसा केंद्र को भेजी गई। उन्होंने बताया कि पिछले साल खरीफ की पैदावार 53 लाख मीट्रिक टन थी और कुल 28 लाख हेक्टेयर भूमि पर खरीफ की फसल हुई थी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार बीज वितरण में 90 फ़ीसदी और 100 फ़ीसदी अनुदान दे रही है, जबकि पिछले साल तक यह अनुदान 50% ही था। इस बार हमने 80 हजार क्विंटल बीज वितरण किया है, जो कि एक रिकॉर्ड है। बीज वितरण के काम में एफपीओ को लगाया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। कई नए एफपीओ को लाइसेंस भी दिया गया है।
श्रीमती निशा उरांव ने कहा कि इस साल ब्लॉकचेन की शुरुआत की गई है। इससे पारदर्शिता और जवाबदेह तरीके से बीज वितरण का पूर्ण विवरण दिखाई दे रहा है इससे देश स्तर पर इस की सराहना की जा रही है
29 दिसंबर को 10 लाख किसानों के खाते में जायेंगे 3500-3500 रुपए: मृत्युंजय बरनवाल
निबंधक सहकारी समिति श्री मृत्युंजय वर्णवाल ने बताया कि खरीफ के बाद सुखाड़ हुआ है। अब बीज का वितरण करके आगामी फसल की तैयारी करनी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखाड़ योजना के तहत 461 करोड़ रुपए का आवंटन हो चुका है और 29 दिसंबर तक लगभग 10 लाख किसानों के खाते में ₹3500 ट्रांसफर किए जाएंगे। इसके लिए 5.75 लाख किसान परिवार का डाटा उपायुक्त स्तर से अप्रूव हो चुका है।
कर्मशाला में मुख्य रूप से पशुपालन निदेशक शशि प्रकाश झा, विशेष सचिव श्री प्रदीप हजारे ,भूमि संरक्षक निदेशक अजय कुमार सिंह, उपनिदेशक रसायन अनिल कुमार, उपनिदेशक मुकेश सिन्हा, फणींद्र नाथ त्रिपाठी सहित रांची प्रमंडल के सभी पदाधिकारी उपस्थित थे।