जमशेदपुर। बिष्टुपुर मेन रोड़ श्रीराम मन्दिर में बुधवार 28 दिसम्बर से श्री अम्बा यज्ञ नव कुण्डीय श्री सहस्त्रचंडी महायज्ञ एवं श्रीमदद्देवी भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का शुभारंभ हुआ, जो आगामी 05 जनवरी गुरूवार तक चलेगा। बुधवार सुबह बिष्टुपुर स्थित लक्ष्मी नारायण गोस्वामी परमहंस मंदिर से 1100 महिलाओं द्वारा ंभव्य कलश तथा देवी भागवत पुराण शोभा यात्रा निकली गयी, जो बिष्टुपुर रीगल चौक मुख्य मार्ग होते हुए बिस्टुपुर राम मंदिर आकर संपन्न हुई।
कलश तथा देवी भागवत पुराण शोभा यात्रा की विधिवत पूजा पंडित नेमि चंद ने करायी। शोभा यात्रा राम मंदिर पहुॅचने के बाद अरवी मंथन द्वारा यज्ञ की अग्नि प्रज्वलित की गयी। कलश शोभा यात्रा में शामिल भक्त गण माता के जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। श्री राणी सती सत्संग समिति जुगसलाई की टीम और स्थानीय भजन गायक महावीर अग्रवाल माता के भजनों की अमृत वर्षा कर रहे थे। माता के भजनों पर भक्त नचाते झूमते आगे बढ़ रहे थे।
श्रीविद्या शक्तिसर्वस्वम् चेन्नई के नेतृत्व में टाटानगर ईकाई द्धारा लौहनगरी में दूसरी बार आयोजित हो रहे यह धार्मिक कार्यक्रम परमपूज्य श्री विजय गुरुजी महाराज के सानिध्य में संपन हो रहा हैं। बुधवार की शाम को व्यास पीठ से विजय गुरुजी महाराज ने अपने सुमधुर वाणी से श्रीमदद्देवी भागवत माहात्म्य एवं मघु कैटभ संहार का विस्तार से प्रसंग सुनाया। सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा का आनन्द उठाया। गुरूजी ने कहा कि भगवती की अराधना से जीवन में अहंकार स्वरूपी राग, द्धेस दोनों ही समाप्त हो जाते हैं। भगवती की अराधना से ही वेदव्यास जी को सुखदेव जी पुत्र के रूप में प्राप्त हुए। नारी शक्ति का सम्मान ही भगवती का पूजन हैं। जहां पर नारी शक्ति की पूजा होती हैं वहां पर ही देवताओं का वास होता हैं। गुरूजी ने आगे कहा कि सभी पुराणों में देवी भागवत को सर्वाेत्तम उत्तम बताया गया हैं। श्रीमद देवी भागवत के श्रवण मात्र से सद ज्ञान, सद्विचार, सत्यज्ञान एवं इहलोक और परलोक दोनों में उत्तम स्थान की प्राप्ति होती हैं। साथ ही जन्म जन्मान्तर का किया हुआ पाप एवं सभी क्लेशों से मुक्ति मिल जाती हैं। कथा के प्रभाव से जहां संतान सुखी होती है। वहीं व्यक्ति को उसके अपने मूल स्वरूप की जानकारी मिलती है और मनुष्य का मूल स्वरूप खुश व प्रसन्न रहना है। कुल मिलाकर प्रथम दिन के कथा का सार यह रहा कि देवी कथा का जीवन में अत्यंत महत्व है।
14 यजमानों ने की सपत्नी पूजाः- प्रथम दिन रामअवतार अग्रवाल, सुरेश कुमार अग्रवाल, दिलीप रिंगसिया, आशीष अग्रवाल, सुशील बांका, ब्रजमोहन लाडेसरिया, पवन अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल, अंकित चेतानी, मनोज गुप्ता, सविन पोदार, बिमल गुप्ता, रूपेश महेरिया, राहुल अग्रवाल कुल 14 यजमानों ने सपत्नी पूजा की। पंडित नेमि चंद की 71 विद्धान पंडितों की टीम ने पूजा करायी। पूजा के बाद सभी भक्तों ने यज्ञ स्थल की परिक्रमा की। गुरूवार को इन 14 यजमानों के साथ 23 और नये यजमान कुल 37 यजमान संयुक्त रूप से पूजा करायेंगें।