जमशेदपुर। बिष्टुपुर राम मंदिर में चल रहे नौ दिवसीय श्री अम्बा यज्ञ नव कुण्डात्मक सहस्त्रचंडी महायज्ञ एवं श्रीमद देवी भागवत, कथा ज्ञान यज्ञ के आठवें दिन बुधवार को पूज्यनीय विजय गुरूजी ने प्रकृति देवियों के अंश स्वरूपा देवियों की कथा का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि प्रकृति त्रिगुणात्मक स्वरूपा है। वही परम शक्ति संपन्न होकर सृष्टि विषयक कार्य में प्रधान भूमिका निभती है। मुख्यतः पांच देवियां क्रमशः दुर्गा, महालक्ष्मी, सरस्वती, सावित्री व राधा संपूर्ण प्रकृति का संचालन करती हैं। दुर्गा गणेश की माता में शिवस्वरूपा हैं। वे भगवान शंकर की प्रेयसी भार्या हैं। महालक्ष्मी यानि नारायणी विष्णु माया पूर्ण रूप से ब्रह्मारूपिणी हैं। यश, मंगल, मोक्ष व हर्ष देना इनकी विशेषता है। ये कभी किसी का अप्रिय नहीं करती हैं। श्री हरि इन्हें प्राणों से अधिक प्रेम करते हैं। सरस्वती देवी की कृपा से कविता, मेधा, प्रतिभा व स्मरण शक्ति प्रदान करती हैं। इनको भगवती जगदम्बा भी कहते हैं। सावित्री जिन्हें गायत्री भी कहते हैं, वे ब्रह्मा की परम प्रिय शक्ति हैं। इनकी कांति शुद्ध स्फटिक के समान स्वच्छ है। मोक्ष प्रदान करना इनका स्वाभाविक गुण है। राधा भगवान श्रीकृष्ण की आत्मा हैं। ये करोड़ों चंद्रमाओं के समान प्रभा बिखेरती रहती हैं। इन्हें ब्रह्मा आदि देवता भी नहीं देख सकते हैं। कथा के दौरान झांकियांे ने श्रोताओं को आनंदित किया। आठवें दिन बुधवार को भी 37 यजमानों द्धारा श्री अम्बा यज्ञ नव कुण्डात्मक सहस्त्रचंडी महायज्ञ किया गया। गुरूवार की सुबह गायत्री महिमा, देवी के मणिद्वीप धाम का वर्णन के साथ कथा विश्राम होगा।
प्रकृति ही पृथ्वी का मूलः- उन्होंने आगे कहा कि प्रकृति ही पृथ्वी का मूल है जिसने इस संसार के प्राणियों को जन्म दिया है। यही पालनकर्ता है और यही संहारकर्ता भी। इस संसार में जब विपत्तियाँ आती हैं तो यही प्रकृति रूपी माँ अनेक रूपों तथा नामों से इस पृथ्वी पर स्थूल रूप से प्रकट होती है और समस्त बाधाओं को दूर व अनाचार को समाप्त कर सदाचार को पुनः स्थापित कर अपने लोक (धाम) चली जाती है। ऐसी मातृशक्ति को हम दुर्गा, भुवनेश्वरी, राधा, लक्ष्मी, सरस्वती, सावित्री, भगवती आदि नामों से जानते हैं। समस्त देव शक्तियाँ उसी देवी के अंश तथा रूप हैं। यही कारण है कि विश्व भर में उस निराकार शक्ति भगवती का स्त्री रूप में ही विभिन्न रूपों तथा नामों से पूजन किया जाता है। सर्वशक्ति से संपन्न होकर प्रधानरूप से सृष्टिकार्य में संलग्न रहती हैं, उसे प्रकृतिया प्रधान कहा जाता हैं।
भगवती दुर्गा ही दुनिया की पराशक्तिः- गुरूजी ने आगे कहा कि हिन्दुओं के शक्ति साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वाेच्च देवता माना जाता है। दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं।
इनका रहा योगदानः-श्रीविद्या शक्तिसर्वस्वम् चेन्नई के नेतृत्व में टाटानगर ईकाई द्धारा लौहनगरी में दूसरी बार आयोजित हो रहे आज के इस धार्मिक उत्सव कार्यक्रम को सफल बनाने में नेमि चंद शास्त्री, अशोक दाहिमा, दिलीप कुमार रिंगसिया, राजेश पसारी, पवन अग्रवाल, बिमल गुप्ता, आशीष अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल, मनोज गुप्ता आदि का योगदान रहा।
पूर्णाहुति एवं भंडारा आजः- गुरूवार 5 जनवरी को सुबह 9.30 बजे से कथा का शुभारंभ होगा, जिसमें गायत्री महिमा, देवी के मणिद्वीप धाम का वर्णन के साथ कथा विश्राम होगा। कथा के बाद पूर्णाहुति होगी। तत्पश्चात महाभंडारा होगा, जिसमें हजारों की संख्या में भक्तगण शामिल होंगें। इस संबंध में गुरूजी ने कहा कि गुरूवार को होने वाले मणिद्वीप निवासीनी पराम्बा की पूर्णाहुति होगी। जो भी मानव इसका दर्शन एवं माता पर विश्वास कर मन में जो भी कामना करेगा मॉ उसे अवश्य मनोरथ पूर्ण करेगी।
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(विशेष अनुरोधः- श्रीमद देवी भागवत कथा विश्राम के बाद होने वाले भंडारा में मीडिया के साथीगण सादर आमंत्रित हैं। बिष्टुपुर राम मंदिर में गुरूवार 5 जनवरी को दोपहर 1.30 बजे के बाद। )