जमशेदपुर।
करीम सिटी कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय कृषि एवं ग्रामीण विकास का समग्र आर्थिक संवृद्धि में अंश और हिस्सेदारी विषय पर आयोजित राष्ट्रीय अंतर्रविषय सम्मेलन का उद्घाटन राज्यपाल रमेश बैस ने किया। यह आयोजन नाबार्ड, झारखंड सरकार के उच्च शिक्षा और तकनीकी विभाग और करीम सिटी कॉलेज के सहयोग से किया जा रहा है।
राज्यपाल रमेश बैस ने अपने संबोधन में झारखंड के किसानों की आर्थिक स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाए जाने के साथ राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर के विभिन्न मापदंडो के अनुरूप की गुणवत्ता में सुधार लाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होने कहा कि इसके लिए जैविक तथा प्राकृतिक खेती उपयोगी सिद्ध होगी। उन्होंने कृषि और कृषि आधारित गतिविधियों के अलावा लघु उद्योग, ग्रामीण पर्यटन इत्यादि को बढ़ावा देने का आह्ववान किया। उन्होंने नाबार्ड के द्वारा किए जा रहे विभिन्न प्रयासों की सराहना करते हुए कृषि और ग्रामीण विकास हेतु सत्तत प्रयास को और भी गतिशीलता देने हेतु आह्वन किया ।
राज्यपाल ने कहा- खुशी है कि आजादी के समय खाद्यान्न की कमी का सामना करने वाला भारत अब ‘आत्मनिर्भर भारत’ बन दुनिया के कई देशों में खाद्यान्न फिर से निर्यात कर रहा है। कृषि नवाचार ने भारत के खाद्यान्न के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। सरकार की सकारात्मक नीतियों के कारण कृषि क्षेत्र में निरन्तर सुधार हो रहा है और किसानों की आय में वृद्धि के व्यापक प्रयास हो रहे हैं। संसार के सभी देशों में विकास कृषि के विकास के बाद ही संभव हुआ है। औद्योगिक विकास भी कृषि के विकास पर ही निर्भर है। भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए कृषि के विकास को साथ लेकर चलना ही पड़ेगा। सिंचाई संबंधी सुविधाओं के अभाव कारण मानसून पर निर्भरता, छोटे एवं सीमांत जोत की समस्या, बाजार एवं प्रौद्योगिकी व तकनीक का अभाव के साथ जलवायु परिवर्तन तथा रासायनिक खादों का प्रयोग के कारण भारतीय कृषि में कुछ समस्याएँ हैं। आज जब ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बात होती है, तो सबसे पहले हमें देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाए जाने की ज़्यादा जरूरत दिखती है। देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंचाने में कृषि एवं ग्रामीण विकास क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
राज्यपाल ने कहा कि अब जो चुनौती हमारे सामने हैं वह है एक सतत, समावेशी और जिम्मेदारी युक्त कृषि उत्पादन एवं प्रबंधन की। यह तभी संभव है जब सभी हितधारक सतत विकास लक्ष्य के प्रति अपनी नीतियों और कार्यों से आगे बढ़े। आज के समय में एग्री स्टार्टअप हमारे युवाओं के लिए एक अच्छा अवसर पैदा कर सकता है। किसानों को बड़े बाजार से जोड़ने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। डिजिटल तकनीक को किसानों के उत्पाद और बाज़ार से जोड़ने पर चमत्कारिक परिवर्तन देखे जा सकते हैं। नाबार्ड कृषि क्षेत्र में और अच्छा कार्य कर जनमानस के हृदय में अपना स्थान हासिल करे। किसानों को नई-नई तकनीकों से खेती करने में अपना पूरा सहयोग दे और किसानों की दिन-प्रतिदिन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए तत्पर रहे।
सेमिनार में वक्ता के रूप में कोल्हान विश्वविधालय के कुलपति गंगाधर पांडा, नाबार्ड के महाप्रबंधक गौतम कुमार सिंह, नाबार्ड के आर्थिक विश्लेषण और अनुसंधान विभाग पूर्व मुख्य महाप्रबंधक के.जे.एस सत्यसाई शामिल हुए। इस अवसर पर राज्यपाल के करकमलों से सम्मेलन की स्मारिका और डॉ. एमडी मोज़्ज़म नजरी, द्वारा लिखित किताब एलीमेंट्री ऑफ जीएसटी एंड कस्टम्स लॉ का भी विमोचन किया गया ।
कार्यक्रम के संरक्षक के तौर पर नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय राँची से आए गौतम कुमार सिंह, महाप्रबंधक नाबार्ड ने इस अवसर पर बताया कि नाबार्ड कृषि और ग्रामीण विकास के लिए कटिबद्ध है, विगत दो वर्षो मे नाबार्ड ने झारखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों मे सस्ते ऋण मुहैया करवाने हेतु बैंकों को पुनर्वित्त के रूप में 4450 करोड़ रुपए का ऋण मुहैया करवाया है। नाबार्ड द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों मे विभिन्न आधारभूत संरचना के निर्माण हेतु प्रत्येक वर्ष राज्य सरकार को लगभग 2200 करोड़ रुपए का ऋण स्वीकृत किया जा रहा है, इसके अतिरिक्त वर्तमान में नाबार्ड के वित्त पोषण से 55 टीडीएफ, 45 जलछाजन, 190 एफपीओ जैसी बड़ी परियोजनाओं के अतरिक्त कौशल विकास और वित्तसमावेशन के कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।
कुलपति, कोल्हान विश्वविद्यालय गंगाधर पांडा ने झारखंड में उपलब्ध विभिन्न प्राकृतिक स्रोतो का सदुपयोग कर कृषि आधारित स्वदेशी अर्थव्यवस्था को बढावा दिए जाने कि आवश्यकता पर जोर दिया ।
इस अवसर विजया जाधव, उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम, प्रभात कुमार, वरीय पुलिस अधीक्षक पूर्वी सिंहभूम, सिद्धार्थ शंकर, डीडीएम नाबार्ड पूर्वी सिंहभूम सह सरायकेला खरसावां, डॉ मोहम्मद रेयाज, प्रिंसिपल करीम सिटी कॉलेज, सहित कई शिक्षाविद तथा देश के अलग अलग हिस्सों से आए प्रताभागी शोधकर्ता उपस्थित थे।