चाईबासा । झारखंड एकेडमिक काउंसिल रांची के द्रारा प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण के प्रशिक्षुओं की परीक्षा में ओड़िया भाषा को शामिल नहीं करने का विरोध तेज हो गया है. ओड़िया भाषी लोगों का कहना है कि प्रशिक्षण के सप्तम पत्र में संस्कृत, बंग्ला, मुंडारी, संथाली, हो, खड़िया, कुडूख, नागपुरी, कुरमाली, खोरठा, पंचपरगनिया आदि भाषाओं सम्मिलित किया गया है, लेकिन ओड़िया भाषा को इसमें जगह नहीं दी गई है.
इसको लेकर चक्रधरपुर के उत्कलमणि विधा मंदिर उड़िया उच्च विद्यालय परिसर में ओड़िया समाज के बुद्धिजीवियों ने बैठक की. बैठक की अध्यक्षता अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अशोक षाडंगी ने किया. बैठक में ओड़िया समाज के बुद्धिजीवियों एवं लोगों ने एक स्वर में कहा कि ओड़िया भाषा को प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण के प्रशिक्षुओं की परीक्षा में शामिल नहीं करने का समाज पुरजोर विरोध करेगा. ओड़िया समाज के लोग सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेंगे. इसके लिए समाज के द्वारा बड़े पैमाने पर हस्ताक्षर अभियान चलाकर डीसी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा. साथ ही जिस ओड़िया विद्यालय में शिक्षक नहीं है, वैसे विद्यालयों में शिक्षकों की बहाली के लिए सरकार से मांग भी की जाएगी. मौके पर नागेश्वर प्रधान, कामाख्या प्रसाद साहू, केदारनाथ प्रधान, पीके दास, सत्यप्रकाश कर, सरोज प्रधान, कमल देव महतो, दीपक कुमार सिंहदेव, राजीव सिंहदेव, जेजे सारंगी समेत काफी संख्या में ओड़िया समाज के बुद्धिजीवी लोग मौजूद थे.
बता दें की झारखण्ड में ओड़िया भाषा राज्य की दूसरी भाषा है. क्योंकि झारखण्ड के 10 जिलों में फैले लगभग 20 लाख ओड़िया भाषी लोगों का घर है. जबकि वर्तमान में राज्य में 35 ओड़िया स्कूल चल रहे हैं. ओडिशा सरकार झारखण्ड के छात्रों को ओड़िया में शिक्षा प्रदान करने के लिए उत्कल सम्मेलनी के माध्यम से 160 शिक्षकों को वित्तपोषित भी कर रही है. वहीँ झारखण्ड सरकार ने ओड़िया भाषा के साथ इस तरह का सौतेला व्यवहार किये जाने से ओड़िया भाषी समाज दुखी और सरकार के प्रति नाराज है.