जमशेदपुर।
माघ माह की संग्रांद (संक्रांत) के अवसर पर साकची गुरुद्वारा परिसर में आयोजित महान कीर्तन दरबार में संगत ने बड़ी संख्या में शिरकत कर “माघ मजन संग साधुआ, धूड़ी कर इशनान, हर का नाम ध्याए सुन, सबना नू कर दान” गुरबाणी तुक जपते हुए माघ मास में प्रवेश किया।
शनिवार को गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी साकची द्वारा कीर्तन दरबार में ज्ञानी चरणजीत सिंह जी चन्न अलवर वाले ने अपने विचार व्यक्त किए उपरांत भाई साहिब भाई संदीप सिंह जी अमृतसर वाले (हजूरी रागी गुरुद्वारा साहिब साकची ) ने ‘सुख दातिया देह दरश, सुख दातिया मधुर,’ ‘दुःख भंजन तेरा नाम जी’ गुरबाणी कीर्तन गाकर संगत को निहाल किया। इनके अलावा छोटी बच्ची इंदरप्रीत कौर ने भी सुरीली आवाज में शब्द गायन किया।
इस पुनीत अवसर पर गुरुद्वारा साहिब पहुंचें तख्त पटना हरमंदिर के महासचिव सरदार इंद्रजीत सिंह, सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के नवनिर्वाचित प्रधान सरदार भगवान सिंह, झारखंड प्रदेश गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार शैलेंद्र सिंह, कोलकाता बड़ा बाजार गुरुद्वारा के प्रधान सरदार रणजीत सिंह, डनलप गुरुद्वारा के प्रधान सरदार बलविंदर सिंह, चंद्रकोना गुरुद्वारा के प्रधान सरदार जितेंद्रपाल सिंह, खड़गपुर (खरीदा) गुरुद्वारा के प्रधान सरदार नरेंद्र सिंह खनूजा को सम्मानित किया गया। इनके अलावा टेल्को गुरुद्वारा के प्रधान सरदार गुरमीत सिंह तोते, कदमा गुरुद्वारा के पूर्व प्रधान सरदार सुखविंदर सिंह, सिख प्रतिनिधि बोर्ड के अध्यक्ष गुरचरण सिंह बिल्ला, अमरजीत सिंह (तार कंपनी), सिख स्त्री सत्संग सभा की प्रधान बीबी गुरमीत कौर, बीबी चरण कौर, बीबी कमलजीत कौर, बीबी मंजीत कौर सेंट्रल सिख स्त्री सत्संग सभा की चेयर पर्सन बीबी कमलजीत कौर, प्रधान सुखजीत कौर, रविंदर कौर ने कीर्तन दरबार में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त किया।
संग्रांद कीर्तन दरबार को सफल बनाने में साकची गुरुद्वारा साहिब के ट्रस्टी सरदार रविंद्र सिंह, चेयरमैन सरदार महेंद्र सिंह, सरदार सतनाम सिंह घुम्मन, सरदार जोगिंदर सिंह जोगी, सरदार सतिंदर सिंह रोमी, लंगर इंचार्ज सरदार महेंद्र सिंह, स्कूल सचिव सरदार सुखविंदर सिंह निक्कु, सचिव सरदार बलबीर सिंह, सरदार दलजीत सिंह, स्कूल सचिव सरदार अजायब सिंह, सरदार जयमल सिंह का विशेष योगदान रहा। मंच का संचालन सरदार सुरजीत सिंह छीते ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन महासचिव सरदार परमजीत सिंह काले किया। कीर्तन दरबार की समाप्ति के बाद संगत के बीच में कड़ाह प्रसाद व गुरु का अटूट लंगर बरताया गया।