जमशेदपुर : सप्ताह भर तक मनाये जाने वाले झारखंड का अति लोकप्रिय महापर्व टुसू पर्व (मकर पर्व ) शनिवार को शुरू हो गया है. बाउंडी के दिन 13 जनवरी को घर की महिलाएं चावल एवं तिल को धोकर सूखाते हैं तथा गुड़ पीठा, आरसा पीठा व तिल नाडु समेत विभिन्न प्रकार के ब्यजंन बनाते हैं. वहीं मकर के दिन शनिवार को लोग विभिन्न नदी-तालाबों में पवित्र स्नान किये तथा स्नान कर तिल व गुड़ पीठा आदि खाकर टुसू पर्व मनायेंगे. साथ ही दही-चूड़ा खाकर मकर संक्रांति मनाया जायेगा. सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश करना ही मकर संक्रांति कहलाता है. इस वर्ष जगह-जगह पर टुसू मेला लगेगा. साथ ही झारखंडी संस्कृति कहे जाने वाला मुर्गा पाड़ा का भी आयोजन किया जाता है. टुसू पर्व को ग्रामीण पूरी उत्साह व उमंग के साथ मनाते हैं. टुसू पर्व को लेकर लगभग औद्योगिक इकाईयों में कामकाज बंद हो जाता है. संस्थानों में सन्नाटा पसरा रहता है. लोग टुसू मनाने अपने-अपने गांव चले जाते हैं. वहीं एक सप्ताह तक क्षेत्र के अधिकांश होटल भी बंद हो जाते हैं.
टुसू का साईड इफेक्ट: औद्योगिक इकाईयों में कामकाज रहा प्रभावित
आदित्यपुर : झारखंड का लोकप्रिय टुसू पर्व की वजह से आदित्यपुर सहित औद्योगिक क्षेत्र की अधिकांश औद्योगिक इकाईयों में उत्पादन का कार्य प्रभावित होना शुरू हो गया. हालांकि रविवार होने की वजह से कल इकाईयों में छुट्टी रहेगी. वहीं, सोमवार को भी उत्पादन का काम तभी रफ्तार पकड़ेगा, जबकि इकाईयों में मजदूरों की उपस्थिति सुनिश्चित हो सके. अन्यथा उत्पादन कार्य आंशिक अथवा पूर्णत: बन्द हो सकता है. क्योंकि विभिन्न कंपनियों में काम करने वाले मजदूर टुसू पर्व मनाने अपने-अपने गांव चले गये हैं. या अलग-अलग स्थानों पर घूम-घूमकर मनाते हैं. और ऐसी स्थिति में सोमवार को भी स्थानीय मजदूरों के काम पर लौटने की संभावना नहीं के बराबर है.
टुसू पर्व की वजह से बंद हुई होटल व चाय की दुकानें
आदित्यपुर : आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र एवं आवासीय कॉलोनी में टुसू पर्व का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ने लगा है. क्योंकि टुसू पर्व की वजह से अधिकांश होटल एवं चाय की दुकानें बंद हो गई है, जिसकी वजह से चाय-नाश्ता करने के इच्छुक लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी. कहीं-कहीं होटल एवं दुकानें खुली भी है. परन्तु वहां कुछ भी उपलब्ध नहीं है. इसका कारण होटल एवं दुकानों में काम करने वालों का अभाव है, जो कि टुसू पर्व मनाने के लिए छुट्टी लेकर अपने पैतृक गांव चले गये हैं.