जमशेदपुर।
बिष्टुपुर के धतकीडीह की रहने वाली वर्षा पटेल हत्याकांड में सोमवार को प्रधान न्यायाधीश सह जिला जज अनिल कुमार मिश्रा की अदालत में बचाव पक्ष की ओर से बहस हुई. इसके पहले 2 फरवरी को भी बहस हुई थी. इस मामले में कुल 9 लोगों की गवाही हुई है. मालूम हो कि बिष्टुपुर की रहने वाली वर्षा पटेल 12 नवंबर 2021 से ही लापता थी. जब उसकी बहन घर पर 13 नवंबर को आयी थी. तब वहां के लोगों ने कहा था कि वर्षा 12 नवंबर को धर्मेंद्र की बाइक पर सवार होकर कहीं गयी है. तब से वह नहीं लौटी है. 14 नवंबर को भी वह घर नहीं लौटी तब एएसआइ धर्मेंद्र को फोन किया. उसने कहा था कि वह जहां भी होगी आ जायेगी. एक सप्ताह के बाद 18 नवंबर की सुबह टेल्को थाना क्षेत्र के तार कंपनी तालाब से वर्षा का शव बरामद हुआ था. बहन जया ने ही शव की पहचान की थी. शव प्लास्टिक का बोरा में लपेटा हुआ था. गले में सोने की चेन थी और पीले रंग का शूट पहनी हुई थी. शव से दुर्गंध आ रही थी. वहां पर पुलिस ने हस्ताक्षर करवाया. शव देखकर जया ने कहा था कि मेरी बहन की हत्या एएसआइ धर्मेंद्र सिंह ने ही की है.
वहीं दूसरी ओर, श्रीलेदर्स के मालिक आशीष डे हत्याकांड में सोमवार को एडीजे 4 राजेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत में तत्कालीन थाना प्रभारी सह वर्तमान में हजारीबाग में जगुआर डीएसपी के रूप में कार्यरत सत्येंद्र नारायण सिंह की गवाही हुई. इसके पहले साकची थाने में पदस्थापित एएसआइ अनिल कुमार सिंह की गवाही हुई थी.
उन्होंने कहा कि 2 नवंबर 2007 को वे एमजीएम थाना में थाना प्रभारी के पद पर कार्यरत थे. तब सरकार गोप मर्डर केस में जितेंद्र सिंह उर्फ पप्पू डॉन जेल में बंद था. एक माह पहले ही वह जमानत पर छूटा था. तब उसे गिरफ्तार कर सिदगोड़ा थाने से जेल भेजा गया था. पूछताछ में जितेंद्र से उनकी फोन पर बातचीत हुई थी. उसने कहा था कि पता लगाकर बतायेंगे कि आशीष डे हत्याकांड में किसका हाथ है. उसके बाद जितेंद्र ने अपना मोबाइल बंद कर लिया.
मालूम हो कि श्रीलेदर्स के मालिक आशीष डे की हत्या 2 नवंबर 2007 को साकची के आम बागान के पास गोली मारकर कर दी गयी थी. मैनेजर तापस पाल की शिकायत पर साकची थाने में मामला दर्ज कराया गया था. मामले में अमलेश सिंह, बिनोद सिंह और पप्पू डॉन समेत अन्य को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. बाद में मामले में सुप्रीम कोर्ट से अमलेश और विनोद सिंह को जमानत मिली थी.