जमशेदपुर।
तीन दिवसीय बाहा महोत्सव में पहले दिन उम नाड़का, दूसरे दिन बाहा बोंगा और तीसरे दिन बाहा सेंन्द्रा, साल 2023 के फागुन महीने के दस्तक के साथ ही आदिवासियों के संथाल समुदाय में सबसे बड़ा पर्व बाहा बोंगा की शुरुआत होने वाली है. यह बोंगा फागुन महीने के पांचवे दिन से शुरू होकर लगातार पूर्णिमा तक चलती है. विभिन्न इलाकों के गांव वाले अपनी सुविधानुसार बाहा बोंगा की तिथि तय करते हैं. विश्व में यह संथाल समुदाय के बोंगा में सबसे पवित्र बोंगा माना जाता है और यह भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यामार आदि विदेशों में भी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. तीन दिवसीय बाहा महोत्सव में पहला दिन नाइके बाबा द्वारा जाहेरथान उम नाड़का के साथ शुरुआत किया जाता है. दूसरे दिन बाहा नायके बाबा द्वारा जाहेरथान में बाहा बोंगा किया जाता है. मारांग बुरु और जाहेर आयो के सामने बलि चढ़ाई जाती है, जिसमें गांव के सभी महिला एवं पुरुष अपनी अपनी पारंपरिक परिधान में जाहेरथान पहुंचकर माथा टेकते हैं तथा प्रसाद के रूप में सोड़े का ग्रहण करते हैं. वहीं, तीसरे दिन बाहा सेंन्द्रा के साथ इस बाहा महोत्सव का समापन किया जाता है, जिसमें बिना रंग के पानी से होली खेली जाती है. एक दूसरे के ऊपर पानी डालकर खुशियां मनाते हैं और नाचते गाते हैं. इस अवसर पर आदिवासियों का सबसे पवित्र पेय पदार्थ हड़िया का भी सेवन किया जाता है. सारजमदा निवासी राजेश मार्डी ने बताया कि आदिवासी बहुल इलाकों में अभी से रौनक दिखाई दे रहा है. जहां घर की महिलाएं अपने अपने घर की दिवारों को विभिन्न प्रकार की कलाकृति से सजाने में व्यस्त हैं. वहीं पुरुष खरीदारी करने में बाजारों के चक्कर लगा रहे हैं.
चुनिंदा गांव में कब कहां होगा बाहा महोत्सव
24 फरवरी – बारीगोड़ा
25 फरवरी – पोंडेहासा, रानीडीह, किनुडीह, डिमना, देवघर
26 फरवरी – सारजमदा, सिदगोड़ा, खुखड़ाडीह, बाहागाढ़
5 मार्च – सुरदा क्रासिंग, नरवा माइंस, करनडीह (दिशोम बाहा)
6 मार्च – बर्मामाइंस
7 मार्च – तिलकागढ़, डोमजुड़ी, राजदोहा.