जमशेदपुर : बजट आमदनी और खर्च का केवल ब्यौरा नहीं होता है, बल्कि आर्थिक एवं सामाजिक उद्देश्यों को प्राप्त करने का साध्य और साधन होता है. विकास की कसौटी पर यदि हेमंत सरकार के बजट को कसा जाए, तो यह खरा नहीं उतरता है. जब आमदनी और खर्च में विषमता बढ़ रही है तो, इससे सामाजिक समानता को बढ़ावा मिलता नहीं दिख रहा है.
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रघुवर ने कई सवालों के मांगे जवाब
पिछले 2022-23 के बजट पर हेमंत सरकार को बताना चाहिए कि जो पैसा गरीब जनता के लिए था, वह खर्च क्यों नहीं हुआ? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? सरकार उनपर क्या कार्रवाई कर रही है? अक्षम नेतृत्व और अक्षम सरकार की ओर से 2023-24 का दिशाहीन बजट पेश किया गया है. इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, गांव, गरीब, किसान, मजदूर, महिलाओं के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है. बजट में रोजगार पर सरकार की ओर से कोई प्रावधान नहीं करना, उनकी नियत पर सवाल उठाता है. राज्य में स्वास्थ्य की स्थिति क्या है. किसी से छुपी नहीं है. लोग अपनी मांगों के लिए सड़क पर उतरे हुये हैं. सरकार अपने किए वायदे को पूरी नहीं कर रही है.
बजट नहीं भद्दा मजाक है
बजट सरकार का जनता के साथ भद्दा मजाक है. सरकार अभी तक तय नहीं कर पा रही है कि आवश्यकताएं और प्राथमिकताएं क्या है? किस रास्ते रास्ते पर चलना है? यही कारण है कि हमारी एनडीए सरकार की ओर से गरीबों के लिए चलाई गई सारी योजनाओं को बंद कर दिया गया है. आशाओं के सब्जबाग और झूठे वादों की झड़ी लगाने की इस सरकार की उपलब्धियां है. एक कहावत है दिशाहीन पथिक अंधेरे में लाठी भांजता है. उसी प्रकार सरकार भी दिशाहीन होकर अंधेरे में लाठी भांज रही है.
-रघुवर दास, पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष.
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