Ashok Kumar
जमशेदपुर : आज पूरा देश मई दिवस मना रहा है और मई दिवस पर सरकारी संस्थानों में भी छुट्टी दी गयी है. इस दिन को मजदूर दिवस के रूप में प्रत्येक साल मनाया जाता है. मई दिवस के बारे में ईंट-भट्ठा में काम करनेवाले और निर्माण कार्य से जुड़े मजदूरों को ही पता नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों ईंट-भट्ठा है जहां पर सोमवार को मजदूरों को काम करते हुये देखा गया. ये मजदूर सुबह के 3 बजे से ही काम पर लग जाते हैं और कड़ी धूप के पहले ही अपना काम समाप्त कर पेड़ की छांव में चले जाते हैं.
इसे भी पढ़ें : कर्ज नहीं चुकाया तो दो बच्चों के बाप ने 11 साल की नाबालिग लड़की से कर ली शादी
बंगाल के मेहनतकश मजदूर करते हैं काम
ईंट-भट्ठा की बात करें तो यहां पर पश्चिम बंगाल के अधिकांश मजदूर काम करते हैं. हाड़-तोड़ मेहनत कर ये मजदूर अपने बच्चों का पेट पालते हैं. छह माह में ही ये एक साल की कमायी करते हैं और बारिश की शुरूआत होते ही अपने घर (गांव) को रवाना हो जाते हैं.
मजदूरों ने पूछा कोई त्योहार है क्या
मई दिवस के बारे में मजदूरों से पूछे जाने पर उनका सवाल था कि कोई त्योहार है क्या. हां करने पर वे स्तब्ध रह गये. उन्हें नहीं पता था कि एक मई को पूरे देश भर के मजदूरों को छुट्टी दी जाती है. इस दिन छुट्टी का भी रुपये देने का प्रावधान सरकार की ओर से बनाया गया है. इन्हें तो बस इतना ही पता है कि रोज कमाना और रोज खाना ही उनकी दीनचर्या है.
बच्चों को नहीं पढ़ा पाना है विवशता
लाजो मुनी ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं और वह दोनों में से किसी को भी पढ़ा नहीं पा रही है. अपने साथ वह अपने दोनों बच्चों को भी काम पर लेकर आयी है. दोनों बच्चे भी ईंट का मिट्टी मिलाने में मदद करते हैं. लाजो चाहती है कि उसके बच्चे इस पेशे में नहीं आये, लेकिन फिलहाल उसके दोनों बच्चे छोटे हैं इस कारण से वह उसे साथ में ही रखती है.
इसे भी पढ़ें : Jamshedpur : मंत्री बन्ना गुप्ता के पास है बैन पिस्तौल, सरयू ने डीसी से जांच कर की कार्रवाई करने की मांग