Ashok Kumar
जमशेदपुर : बागबेड़ा थाना क्षेत्र के नागाडीह में 18 मई 2017 को चार लोगों की बच्चा चोर की अफवाह में हुई पीट-पीटकर हत्या में 6 साल के बाद भी तब के मुखिया राजाराम हांसदा आज भी जेल में बंद हैं. आर्थिक तंगी उनके लिये जमानत रोड़ा बना हुआ है. आखिर पुलिस मामले को किस तराजू में तोल रही है. तब पूरा मामला पुलिसिया कमजोरी के रूप में सामने आया था. पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर भी मूकदर्शक बनी हुई थी. यह कहना परिवार के सदस्यों का है. आखिर पुलिस छह साल तक क्या कर रही है. न घटनास्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी और न ही मुख्य आरोपियों को ही पुलिस गिरफ्तार कर सकी है. मामले में अब भी कई आरोपी पुलिस गिरफ्त से बाहर है. जो लोग बाहर हैं उन्हीं को अब मुख्य आरोपी माना जा रहा है. तब गांव के लोगों ने कहा था कि जो लोग घटना के समय शहर और राज्य से बाहर थे उन्हें ही आरोपी बना दिया गया है. मामले में अबतक एफएसएल रिपोर्ट भी नहीं आयी है. कोर्ट की ओर से बार-बार रिपोर्ट मांगी जाती है.
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इनकी की गयी थी हत्या
मॉब लिंचिंग में जुगसलाई निवासी रामसखी देवी (80), गौतम वर्मा, विकास वर्मा और बागबेड़ा निवासी गंगेश गुप्ता की हत्या पीट-पीटकर कर दी गयी थी. इसमें रामसखी दी की बात करें तो घटना के दिन उनकी मृत्यु नहीं हुई थी. करीब एक माह तक टीएमएच में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी थी.
आमिष हुसैन थे बागबेड़ा के थाना प्रभारी
जब घटना घटी थी, तब बागबेड़ा में थाना प्रभारी के रूप में इंसपेक्टर आमिष हुसैन पदस्थापित थे. घटना के बाद वे खुद घटनास्थल से 300 मीटर की दूरी पर खड़े थे. इस उग्र भीड़ चार लोगों को पीट रही थी और पुलिस मात्र तमाशबीन ही बनी हुई थी. अगर पुलिस चाहती तो वहां पर हवाई फायरिंग कर भीड़ को तितर-बितर भी कर सकती थी.
फोर्स पहुंचने में लग गये थे घंटों
नागाडीह में चार लोगों को बंधक बानकर उनके साथ मारपीट की जा रही है. इसकी जानकारी रात 9 बजे ही पुलिस को मिल गयी थी. बागबेड़ा पुलिस यह कहकर घटनास्थल पर नहीं जा रही थी कि बिना फोर्स के कैसे जायेंगे. कैसे संभलेगा सबकुछ. जुगसलाई डीएसपी अमित कुमार भी जुगसलाई थाने पर बैठकर ही फोर्स की प्रतीक्षा कर रहे थे. तब किसी को यह पता नहीं था कि घटना इस तरह का उग्र रूप लेगा.
मुखिया को बनाया गया था मुख्य आरोपी
नागाडीह हत्याकांड में मुख्य आरोपी वहां के मुखिया राजाराम हांसदा को बनाया गया था. आज छह साल के बाद भी मुखिया जी की जमानत नहीं हो सकी है. मुखिया राजाराम को घटना के दिन बागबेड़ा पुलिस ने फोन कर घटना के बारे में बताया था और वे अपने खटारा स्कूटी लेकर नागाडीह गांव पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने गांव के लोगों को समझाने का भी काम किया था, लेकिन गांव के लोगों ने उनकी एक नहीं सुनी थी. इसके बाद वे वापस अपने घर चले गये थे. पुलिस ने जो मामला दर्ज किया था उसमें कहा गया था कि मुखिया राजाराम हांसदा ने ही सबसे पर कुल्हाड़ी के हमला किया था.
ग्रामीणों ने होर्डिंग लगाने जाते समय रोका था
घटना के समय उत्तम गुप्ता, गंगेश, गौतम और विकास होर्डिंग लगाने के लिये गांव के भीतर गये हुये थे. तभी चौक पर बैठे कुछ गांव के लोगों ने सभी को रोक लिया था और नाम-पता पूछा था. इस बीच आई कार्ड और आधार कार्ड दिखाने को कहा था. पास में कुछ नहीं होने के कारण उत्तम को गांव के लोगों ने कहा था कि आधार कार्ड लेकर आओ. इसके बाद उत्तम अपने घर पर गया था और परिवार के लोगों को घटना की जानकारी दी थी.
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