चांडिल : कुड़मी समाज ने शनिवार को प्रेमशाही मुंडा के खिलाफ चांडिल थाने में दंगा भड़काने का मामला दर्ज कराया. आरोप लगाया गया है कि ये लोग चाहते हैं कि मणिपुर जैसा दंगा झारखंड में हो. लेकिन कुड़मी समुदाय इनके मनसूबो को कभी सफल नहीं होने देगा. 4 जून को आदिवासी आक्रोश जनसभा के दौरान संविधान निर्माता में से एक बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के फोटो के सामने अपने भाषण में कुड़मी समाज के खिलाफ अप-शब्दों का प्रयोग किया गया था. कहा गया था कि कुड़मियों को जाहेर थान में ले जाकर बलि देना होगा.
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संवैधानिक लड़ाई लड़ रहा समाज
कुड़मी समुदाय अपने समुदाय को एसटी सूची में शामिल करवाने के लिए संवैधानिक लड़ाई लड़ रहा है. हमारा डिमांड किसी समुदाय से नहीं है. सरकार से है. यदि किसी को यह डर लगता है कि कुड़मी समुदाय अगर एसटी बन जाता है तों उनका हक़ मारा जाए. लेकिन यैसा नहीं है. यदि कुड़मी एसटी में शामिल हो जाता है तो आरक्षण का दायरा भी बढेगा और यह क्षेत्र 5वी अनुसूची से 6ठी अनुसूची में शामिल हो जाएगा.
झारखंडियों को लड़ाने की कोशिश
कुड़मी समुदाय अन्य झारखंडी समुदायों के साथ वर्षों से सामाजिक संस्कृतिक रूप से सामंजस्य के साथ रहते हुए आया है. आपस में कभी कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ है. अभी कुछ राजनैतिक पार्टियां और नेता अपने निहित राजनैतिक स्वार्थ के लिए झारखंडी समुदायों को आपस में लड़ाने में लगे हुये हैं. यही लोग पहले झारखंड में सांप्रदायिक उन्माद फैलाकर हिन्दू-मुस्लिम करने में लगे हुये थे. जब हिन्दू-मुस्लिम करने में असफल हुए तो झारखंडी समुदायों को आपस में लड़ाने में लगे हुये हैं. लेकिन उनके मनसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे. छोटानागपुर को मणिपुर नहीं बनने देंगे.
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