नयी दिल्ली : यह सुनने में आश्चर्य लगता है कि शादीशुदा जोड़े को कभी कोर्ट की ओर से तलाक भी मिल सकती है, लेकिन यह सच्चाई है. कुछ इसी तरह का एक मामला दिल्ली की एक अदालत से सामने आया है. इसको लेकर पार्टनर की ओर से जानबूझकर सेक्स नहीं करने देने का एक मामला कोर्ट में दर्ज कराया गया था. पति की ओर से दर्ज कराये गये मामले की सुनवायी कोर्ट ने की और तलाक दे दी.
जोड़े की शादी 9 साल पहले 2014 में हुई थी. शादी के पहले दोनों की दोस्ती फेसबुक के माध्यम से हुई थी. डेढ़ साल तक डेट करने के बाद दोनों ने शादी कर ली. शादी के 9 सालों के बाद भी दोनों के बीच कभी शारीरिक संबंध नहीं बना.
फैमिली कोर्ट में चल रहा था मुकदमा
मामला फैमिली कोर्ट के विपिन कुमार राय की अदालत में चल रहा था. आदेश में कहा गया है कि सामान्य और हेल्दी सेक्सुअल रिलेशनशिप एक सुखी और सौहार्द वाली शादी का बुनियादी अंग है. पार्टनर की ओर से तब सेक्स संबंध से जानबूझकर इनकार करना जब दूसरा पार्टनर इसे लेकर परेशान हो. यह मानसिक क्रूरता के बराबर है. खासकर तब जब दोनों पति-पत्नी युवा और नवविवाहित हैं.
पत्नी ने पति को ठहराया जिम्मेवार
इधर इस मामले में जब पत्नी का पक्ष कोर्ट की ओर से जाना गया तब पता चला कि इसके लिये खुद पति ही जिम्मेवार है. शादी के बाद पति ही नहीं चाहता था कि उसके बच्चे हो. पत्नी ने कहा कि वह खुद को सेक्स को लेकर असंतुष्ट महसूस करती है. वहीं कोर्ट में यह बात भी सामने आयी कि पत्नी को जीनोफोबिया बीमारी है. ऐसे में सेक्स संबंध बनाने से मनुष्य के भीतर शारीरिक या मानसिक भय घर कर जाता है. वहीं कोर्ट ने कहा कि सेक्स किसी भी शादी की नींव है. इसके बिना लंबे समय तक टिकना असंभव है. कोर्ट ने कहा कि यह क्रूरता से कम नहीं है.