Chaibasa : एशिया के प्रसिद्ध सारंडा जंगल में लगातार घुसपैठ हो रही है. सारंडा जंगल को काटकर गांव-घर बसाने की कोशिश की जा रही है. बाहर से आये लोग कुल्हाड़ी लेकर सारंडा के घने जंगल के अन्दर बेशकीमती पेड़ों को काट रहे हैं. जंगल को तबाह और बर्बाद किया जा रहा है. ऐसा ही एक ताजा मामला फिर सामने आया है. यहां मनोहरपुर प्रखंड मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर सारंडा के कोयना रेंज के मनोहरपुर बीट अंतर्गत अंकुआ कंपार्टमेंट संख्या-35 के चिरुबेड़ा के रिजर्व जंगल में पारंपरिक हथियारों से लैस होकर लोग पेड़ों को काटते दिखे.
ग्रामीणों ने खदेड़ा, किया वन विभाग के सुपर्द
इस बीच, सारंडा के ग्रामीणों भी घुसपैठ की कोशिश के खिलाफ तत्पर दिखे. उन्होंने जंगल काटते हुए गोइलकेरा प्रखंड के डेरोवां गांव के कुल 11 लोगों को प्रशासन के सहयोग से खदेड़कर जंगल से बाहर निकाला और उन्हें वन विभाग के सुपुर्द कर दिया. इनके पास से 10 कुल्हाड़ी और दो लोगों के आधार कार्ड की बरामदगी हुई है. विभाग इन लोगों के विरुद्ध कार्रवाई में जुट गयी है. पकड़े गए सभी लोग बिरहोर हैं. उनके मुताबिक रोजगार नहीं मिलने के कारण ये लोग जंगल काटकर यहां बसने की योजना बना रहे थे.
एक एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में काटे गए पेड़
पकड़े गए लोगों ने चिरुबेड़ा के इस जंगल के एक एकड़ से ज्यादा बड़े क्षेत्र में तक़रीबन 700 पेड़ों को काट डाला है. इनमें सागवान, अर्जुन, आसन समेत अन्य कीमती पेड़ शामिल हैं. ये सभी लोग जंगल के एक ऊंची जगह पर प्लास्टिक और अन्य चीजों से झोंपड़ी बनाकर रह रहे थे. जंगल काटने के पीछे इनकी वहां पर खेती करने की मंशा थी. काटे गए कई पेड़ काफी विशाल थे. पकड़े गए लोगों ने बताया कि वे लोग करीबन एक साल तक मीनाबाजार गांव के पास खुले में रहते थे. ये लोग जंगल की लताओं से रस्सियां बनाकर बाजार में बेचकर जीवन यापन करते हैं.
लकड़ी माफिया का खेल या वन पट्टा का लालच ?
चिरुबेड़ा का यह इलाका बेहद घना जंगल है. यहां सुविधा के नाम पर सिर्फ जंगली और पहाड़ी नाला है. फिर भी पकड़े गए लोगों ने इसी जगह को ही बसने के लिए क्यों चुना ? यह एक बड़ा सवाल है. आशंका है कि लोग वन पट्टा के लालच में भी इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं या फिर लकड़ी माफिया इन्हें बरगला कर इनसे पेड़ों की कटाई करवा रहे होंगे. मामला गंभीर इसलिए भी है क्योंकि डेरोवां में जब इनका अपना घर है तो ये लोग इतनी दूर किसके कहने पर बसने के लिए इस जंगल में घुसपैठ कर रहे हैं.
पहले भी हो चुकी है घुसपैठ की कोशिश
मालूम रहे कि इससे पहले भी इस घने जंगल में घुसपैठ की कोशिश की जा चुकी है और पेड़ों को काटकर नुकसान भी पहुंचाया गया है. यह सिलसिला अब भी थम नहीं रहा है. लोगों का कहना है की सरकार, जिला प्रसाशन और वन विभाग की लापरवाही के कारण सारंडा जंगल तबाह और बर्बाद हो रहा है. कुछ लोग निजी स्वार्थ में जंगल को निगल रहे हैं.
कार्रवाई में ये रहे शामिल
बहरहाल प्रशासन और ग्रामीणों की तत्परता से फिर एक बार जंगल को बचाया गया है. इस संयुक्त कार्रवाई में मनोहरपुर थाना प्रभारी अमित कुमार, जराईकेला थाना प्रभारी आशीष कुमार भारद्वाज, वन विभाग की टीम और भारी संख्या में गिंदुंग, बचमगुटु, बांध टोली के ग्रामीण शामिल रहे.