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कुड़मी आंदोलन कहीं पुराने ढर्रे पर तो नहीं चलेगी?
कुड़मी को एसटी का दर्जा देने की मांग जब से उठ रही है तब से ही आदिवासी और कुड़मी समाज के लोग अलग-अलग खेमा में बंट गए हैं. दोनों एक-दूसरे का विरोध कर रहे हैं. वहीं इस मामले में राजनीतिक दल के लोग भी चुप्पी साधे हुए हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो जबरन सरकार से मांगों को मनवाने का काम किया जा रहा है. इसके पहले सरकार के साथ कुड़मियों की वार्ता भी हुई थी. सरकार भी किसी समाज के डर से कुड़मियों के पक्ष में तत्काल फैसला देना नहीं चाहती है.
झारखंड/बंगाल/ओड़िशा : कुड़मी आंदोलन 20 सितंबर से एक बार फिर से शुरू होनेवाला है. इसके पहले 5 मई 2023 को यह आंदोलन किया गया था. तब आंदोलन 8 दिनों तक चला था और पूरे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी. कुड़मियों का यह आंदोलन झारखंड के अलावा बंगाल और ओड़िशा में भी किया जाएगा. अगर आंदोलन पुराने ढर्रे पर चली तो फिर देश को करोड़ों रुपये का नुकसान होगा. रेल मार्ग चरमरा जाएगी.